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Politics: विधानसभा चुनाव से पहले असदुद्दीन ओवैसी को यूपी के ‘आलू’ ने मुश्किल में डाला

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आगरा। यूपी के कोने-कोने में घूमकर वोट मांग रहे ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन यानी AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ‘आलू’ के फेर में फंस गए हैं। यूपी के आलू ने ओवैसी की सियासत पर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोग ओवैसी से नाराज हैं। नाराजगी की वजह वो आलू बना है, जिसपर तेलंगाना सरकार ने रोक लगा दी है। तेलंगाना के कृषि मंत्री एन. रेड्डी ने बीते दिनों इस फैसले का एलान किया है। तेलंगाना में यूपी से काफी आलू जाता रहा है, लेकिन रेड्डी का कहना है कि यूपी का आलू कोल्ड स्टोरेज का है और तेलंगाना के बाजारों में फ्रेश आलू पड़ोसी राज्यों से आ सकता है, तो हम यूपी से पुराना आलू क्यों खरीदें।

अब तेलंगाना सरकार के इस फैसले से यूपी से आलू जाना बंद हो गया है। पहले 50 किलो के आलू के 500 बोरे एक ट्रक में लदकर यूपी के आगरा और अन्य जगहों से तेलंगाना जाते थे। हर रोज करीब 800 ट्रक आलू वहां भेजा जाता था। अब तेलंगाना सरकार के फैसले से आलू जाना बंद हो गया है और यहां के लोगों का गुस्सा ओवैसी पर उतर रहा है। दरअसल, ओवैसी की पार्टी ने तेलंगाना में सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति यानी TRS की सरकार को समर्थन दे रखा है। आलू न लेने के टीआरएस सरकार के फैसले के खिलाफ ओवैसी ने कुछ नहीं कहा और इसका विरोध न करके चुप्पी साधते हुए समर्थन दे दिया।

आगरा और आसपास के आलू उत्पादक तेलंगाना सरकार के फैसले से निराश हैं। उनका गुस्सा ओवैसी पर है। वे सवाल पूछ रहे हैं कि ओवैसी अगर यूपी में आकर उनका वोट लेना चाहते हैं, तो उन्होंने आलू न खरीदने के तेलंगाना सरकार के फैसले का विरोध क्यों नहीं किया। बता दें कि यूपी में करीब 130 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोटर बहुमत में हैं। इनमें पश्चिमी यूपी की आलू उत्पादक जिलों की सीटें भी हैं। इन सीटों पर करीब 20 फीसदी मुस्लिम वोटर जीत और हार तय करते हैं। ओवैसी पश्चिमी यूपी के कई जगह जनसभाएं कर चुके हैं और मुसलमानों का वोट मांग रहे हैं, लेकिन अब आलू की सियासत उन्हें इन सीटों को जीतने में भारी पड़ सकती है।

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