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संयुक्त राष्ट्र में हिंदुओं, सिखों, बौद्धों के खिलाफ हिंसा पर भारत ने जो कहा, उससे घबरा उठे पाक सहित कई पड़ोसी देश!

Ashish Sharma UN

नई दिल्ली। हिंसा के मामलों में संयुक्त राष्ट्र के अपनाए जा रहे चुनिंदा रुख की भारत ने आलोचना करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा बौद्धों, हिंदुओं और सिखों के खिलाफ बढ़ती नफरत और हिंसा को पहचानने में नाकाम रही है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में साफि किया कि शांति की संस्कृति केवल ‘इब्राहीमी धर्मों’ के लिए नहीं हो सकती। बाकी धर्मों को लेकर भी उसी तरह आवाज उठनी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव आशीष शर्मा ने ‘शांति की संस्कृति’ पर कहा कि आज की दुनिया में ‘चिंताजनक चलन’ देखने को मिला है। भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए आशीष शर्मा ने कहा कि भारत इस बात से पूरी तरह सहमत है कि यहूदी, इस्लाम और ईसाई विरोधी कृत्यों की निंदा करने की आवश्यकता है और भारत भी इस तरह की घटनाओं की कड़ी आलोचना करता है, लेकिन इस प्रकार के महत्वपूर्ण मामलों पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव केवल इन्हीं 3 इब्राहीमी धर्मों के बारे में बात करते हैं।

शर्मा ने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र जैसी गरिमामयी संस्था हिंदू, सिख और बौद्ध धर्मों के अनुयायियों के खिलाफ बढ़ती नफरत एवं हिंसा को पहचानने में असफल रही है। केवल इब्राहीमी धर्मों के लिए शांति की संस्कृति नहीं हो सकती बाकी के धर्मों को लेकर भी समान राय रखनी होगी। शर्मा ने कहा कि जब तक यह चुनिंदा रुख बरकरार है, दुनिया में शांति की संस्कृति वास्तव में फल-फूल नहीं सकती।’

शर्मा ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र  जिस तरह की संस्था है, उसे धर्म के मामले में किसी एक का पक्ष नहीं लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि ‘यदि हम वास्तव में चुनिंदा रुख अपनाते हैं’, तो दुनिया अमेरिकी राजनीतिक शास्त्री सैम्युल हटिंगटन के ‘सभ्यताओं का टकराव’ सिद्धांत को सही साबित कर देगी। शर्मा ने अफगानिस्तान में कट्टरपंथियों द्वारा बामियान बुद्ध की प्रतिमा को तोड़े जाने, मार्च में युद्ध ग्रस्त देश में गुरुद्वारे पर बमबारी किए जाने, हिंदू एवं बौद्ध मंदिरों को नुकसान पहुंचाए जाने और कई देशों में इन अल्पसंख्यक धर्मों के लोगों के नस्ली सफाए का भी जिक्र किया।

शर्मा ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि, हिंसा कहीं भी हो, उसकी समान तरीके से आलोचना होनी चाहिए, मामला चाहे जिस धर्म से भी जुड़ा हो। शर्मा ने संयुक्त राष्ट्र के तरीकों पर सवाल उठाते हुए कहा कि, ‘UN  के मौजूदा सदस्य देश इन धर्मों के लिए उस तरह से आवाज नहीं उठा रहे, जिस तरह पहले 3 ‘इब्राहीमी’ धर्मों के खिलाफ उठाई जाती है। यह चुनिंदा रुख क्यों?’

भारत में मौजूद सभी धर्मों को लेकर उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र में बताया कि भारत केवल हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म का ही जन्मस्थल नहीं है, बल्कि यह वह भूमि है, जहां इस्लाम, जैन, ईसाई और पारसी धर्मों की शिक्षाओं ने भी मजबूत जड़ें जमाई हैं और जहां इस्लाम की सूफी परंपरा फली-फूली है। शर्मा ने कहा कि भारत केवल एक संस्कृति नहीं, बल्कि अपने आप में एक सभ्यता है।

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