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Rajathan: बाबा बालकनाथ ने संसद सदस्यता से दिया इस्तीफा, CM की रेस में भी नाम है शामिल

नई दिल्ली। आखिर किसे मिलेगी मुख्यमंत्री की कुर्सी? कौन बनेगा राजस्थान का मुखिया? क्या आपको भी यही सवाल परेशान तो नहीं कर रहा है। अगर हां…तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं, क्योंकि यहां हम आपको राजस्थान में मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर जारी सियासी खींचतान के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। जैसा कि आप जानते ही होंगे कि मुख्यमंत्री की रेस में एक या दो नहीं, बल्कि कई नाम चर्चा में हैं, जिसमें मुख्य रूप से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, गजेंद्र सिंह शेखावत, ओम बिरला, नरेंद्र सिंह तोमर और बाबा बालकनाथ का नाम शामिल है। अब पार्टी किसके नाम पर सहमति की मुहर लगाती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। ध्यान दें, आज पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी दिल्ली बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने जा सकती हैं। हालांकि, इस मुलाकात को लेकर अभी सस्पेंस बना हुआ है, लेकिन इस बीच राजस्थान की राजनीति से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है । आइए, आगे आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।

दरअसल, बाबा बालकनाथ ने संसद सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। बीजेपी ने उन्हें तिजारा विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा था, जिसमें उन्होंने कांग्रेस के इमरान खान को भारी मतों से हार का स्वाद चखाया है, जिसके बाद अब उनके मुख्यमंत्री बनने की चर्चा चरम पर है। बीते दिनों संसद परिसर के बाहर अधीर रंजन चौधरी ने भी उनसे मजाकिया लहजे में पूछा लिया था कि क्यों आप बनने रहे हैं ना मुख्मयंत्री। वहीं, अधीर की इन बातों को सुनकर बाबा बालकनाथ झेंप गए थे। सनद रहे कि बीते दिनों खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने तिजारा विधानसभा में बाबा बालकनाथ के समर्थन में चुनाव प्रचार किया था और जनता से उनके समर्थन में वोट देने की अपील की थी। यही नहीं, सियासी गलियारों में बाबा बालकनाथ को सीएम योगी का प्रतिरूप भी बताया जाता है। बहरहाल, इस बीच ये देखना दिलचस्प रहेगा कि बीजेपी आगामी दिनों में उन्हें लेकर क्या कुछ फैसला लेती है। लेकिन, आइए इससे पहले ये जान लेते हैं कि आखिर बाबा बालकनाथ का अब तक का सियासी सफर कैसा रहा है?

वहीं, अगर बाबा बालकनाथ के अब तक के सियासी सफऱ की बात करें, तो वो हिंदू धर्म संपद्राय के 8वें संत बताए जाते हैं। 2016 में महंत चांदनाथ ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी भी घोषित किया था। जिसमें उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ और बाबा रामदेव भी शामिल हुए थे। बता दें कि बाबा बालकनाथ का जन्म बहरोड़ तहसील के कोहराना गांव में एक यदुवंशी हिंदू परिवार में हुआ था। बाबा बालकनाथ ने साढ़े 6 साल की उम्र में परिवार छोड़कर संन्यासी बनने का फैसला किया था। वह 1985-1991 तक (6 वर्ष की आयु तक) मत्स्येंद्र महाराज आश्रम में रहे। इसके बाद वो हनुमानगढ़ जिले के नाथावली थेरी गांव में एक मठ में चले गए।

वहीं, बाबा बालकनाथ को महंत चांदनाथ ने राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया, जो कि खुद वर्तमान में अलवर से सांसद हैं। बाबा महंत चांदनाथ को 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सांसद बनाया था। उन्हें राजस्थान का योगी कहकर संबोधित किया जाता है। इतना ही नहीं, वो चनाव में अपना नामांकन दाखिल करने बुलडोजर से गए थे। इसके अलावा उन्होंने कई जगहों पर चुनाव प्रचार भी बुलडोजर से किया था। वहीं, बाबा बालकनाथ का सीएम योगी से भी एक अनूठा रिश्ता रहा है। दरअसल, जिस नाथ से सीएम योगी आते हैं, उसी नाथ से खुद बाबा बालकनाथ भी आते हैं।

आपको बता दें कि गत विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 21 सांसदों पर दांव लगाया था। जिसमें राजस्थान और मध्य प्रदेश में पार्टी ने सात सांसदों पर दांव लगाया था, तो वहीं छत्तीसगढ़ में 3 और तेलंगाना चार सांसदों को चुनावी मैदान में उतारा था। वहीं, अब तक चुनाव विजयी हुए सात सांसद अब तक अपनी सांसदी छोड़ चुके हैं।

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