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Babiya: नहीं रहा दुनिया का इकलौता शाकाहारी मगरमच्छ बाबिया, केरल के मंदिर में 60 वर्षों से करता था रखवाली

Crocodile : बाबिया के बारे में बताया जाता है कि दिन में दो बार उसे मंदिर का प्रसाद खाने के लिए दिया जाता था। वह चावल और गुड़ से बना दलिया ही खाता था। मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए आने वाले भक्त भी उसे प्रसाद खिलाते थे।

केरल। आपने दुनिया में कई शाकाहारी जीवों को देखा होगा, लेकिन क्या आपने कभी मगरमच्छ को शाकाहारी होते हुए देखा है, या सुना है ? अगर नहीं तो यह खबर आपके लिए है क्योंकि हाल ही में केरल के एक मंदिर में रहने वाले बाबिया नामक शाकाहारी मगरमच्छ की मौत हो गई है। जिसने सोमवार को 60 वर्षों से अधिक समय तक मंदिर की रखवाली करने के बाद आखिर दम तोड़ दिया। यह कोच्चि जिले के अनंतपुरा लेक टेंपल की झील में रहता था। इसके साथ ही यह मगरमच्छ बाबिया कासरगोड के श्री आनंदपद्मनाभ स्वामी मंदिर की रखवाली भी करता था। मंदिर के लोग बताते हैं कि बाबिया यहां 60 वर्षों से अधिक समय से रह रहा था। उसका निवास झील और पास ही बनी गुफाएं थीं। मंदिर के पुजारियों के अनुसार, ‘मगरमच्छ बाबिया अपना अधिकांश समय गुफा के अंदर बिताता था और दोपहर में बाहर निकलता था।

बाबिया को गांव के लोग भगवान का दूत कहते थे

बाबिया के बारे में बताया जाता है कि दिन में दो बार उसे मंदिर का प्रसाद खाने के लिए दिया जाता था। वह चावल और गुड़ से बना दलिया ही खाता था। मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए आने वाले भक्त भी उसे प्रसाद खिलाते थे। लोग इसे भगवान का दूत कहते थे। बबिया जिस झील में रहता था, उसमें मछलियां भी हैं, लेकिन वह कभी भी मछलियों को नहीं खाता था। यहां तक कि झील में नहाने के दौरान भक्तों को भी किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाता था। यह दुनिया में अपनी तरह का इकलौता मगरमच्छ था। हो भी क्यों ना क्योंकि आपने अक्सर आदमखोर मगरमच्छों के नाम सुने होंगे लेकिन शाकाहारी मगरमच्छ अपने आप में अनूठा है।

झील में देर रात मृत पाया गया बाबिया

बाबा की मौत पर मंदिर के अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि बबिया मगरमच्छ शनिवार से ही लापता था और रविवार रात करीब 11:30 बजे बबिया का शव झील पर तैरता हुआ मिला। इसकी सूचना पुलिस और पशुपालन विभाग को दे दी गई है। मगरमच्छ के अंतिम दर्शन के लिए सोमवार को राजनेताओं सहित सैकड़ों लोगों की भीड़ उमड़ गई। बबिया के शव को झील से निकाल कर सार्वजनिक श्रंद्धाजलि के लिए रखा गया है। आपको बता दें किस मंदिर में आने वाले लोग बाबा की पूजा किसी संत की तरह करते थे।

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