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‘Babuji’ Jagjivan Ram Jayanti: बाबू जगजीवन राम की 144वीं जयंती आज, जानिए देश के विकास में उनकी सहभागिता

नई दिल्ली। स्वतंत्रता संग्राम में सभी सेनानियों ने बराबरी से भागीदारी निभाई, लेकिन आजादी मिलते ही कई नेताओं को सत्ता का रंग चढ़ गया और उसके नशे में चूर होकर देश के विकास और उसके हित की बात को भूल गए। वहीं कई नेता ऐसे भी हैं, जिन्होंने मंत्री के रूप में अकेले अपने दम पर कई मंत्रालयों की चुनौतियों को स्वीकार किया और उन्हें उनके अंतिम अंजाम तक भी पहुंचाया। उन्हीं महान हस्तियों में एक नाम है ‘बाबू जगजीवन राम’ का। गरीबों और वंचितों के मसीहा बाबू जगजीवन राम की आज 144वीं जयंती है। उनके जन्मदिन के मौके पर आइये जानते हैं, उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें और राष्ट्र निर्माण में उनकी सहभागिता के बारे में… जगजीवन राम का जन्म 5 अप्रैल, 1908 को चंदवा, बिहार के एक दलित परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा बिहार के आरा शहर से प्राप्त की, जहाँ उन्हें पहली बार भेदभाव का सामना करना पड़ा था। उन्हें ‘अछूत’ समझा जाता था, जिसके चलते उनके पानी पीने के लिए एक अलग बर्तन रखा गया था। जगजीवन राम ने उस पानी घड़े को तोड़कर पहली बार इस छुआ-छूत की कुरीति का विरोध किया था। आखिरकार, स्कूल के प्रधानाचार्य को अछूतों के लिये अलग से रखे गए पानी पीने के बर्तन को हटाना पड़ा था।

बाबू जगजीवन के नाम 50 सालों तक सांसद बने रहने का वर्ल्ड रेकॉर्ड दर्ज है। 1936 से 1986 तक वो लगातार सांसद बने रहे और बराबरी और वंचितों के हक के लिए लगातार लड़ते रहे। आधुनिक भारतीय राजनीति के शिखर पुरुष जगजीवन राम को मंत्री के रूप में जो भी विभाग प्राप्त हुआ, उन्होंने अपनी प्रशासनिक दक्षता से उसका संचालन सफलतापूर्वक किया। कहा जाता है वो एक बार जो ठान लेते थे, उसे पूरा करके ही छोड़ते थे। उन्होंने सत्याग्रह और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी बढ़-चढ़ कर भाग लिया, जिसके लिए उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। एक बार दलित समुदाय से संबंध रखने वाले जगजीवन राम को जननेता होने की वजह से जगन्नाथ पुरी मंदिर में जाने की अनुमति मिल गई। लेकिन उनकी पत्नी और उनके साथ आए अन्य लोगों को अनुमति नहीं मिली, जिसके चलते उन्होंने भी मंदिर में प्रवेश करने से इनकार कर दिया। इस बात का जिक्र उनकी पत्नी इंद्राणी की डायरी में मिलता है। बता दें, 2009 से 2014 के दौरान लोकसभा अध्यक्ष रहीं, मीरा कुमार बाबू जगजीवन राम की बेटी हैं।

एक योद्धा के रूप में जीवन बिताने वाले जगजीवन राम ने जिंदगी में काफी हार नहीं मानी। जब वो देश के रक्षा मंत्री थे तब भारत ने 1971 का युद्ध जीता और बांग्लादेश का जन्म हुआ। उनके कृषि मंत्री पद पर रहते देश में ‘हरित क्रांति’ आई। पांच दशकों तक सक्रिय राजनीति का हिस्सा रहे जगजीवन राम का पूरा जीवन देश की सेवा और दलितों के उत्थान के लिए समर्पित रहा। जुलाई, 1986 में 78 साल की उम्र में देश के इस महान राजनीतिज्ञ का निधन हो गया।

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