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Maratha Reservation: महाराष्ट्र का मराठा आरक्षण कोर्ट से खारिज तो नहीं होगा?, सीएम एकनाथ शिंदे ने आंकड़ों का हवाला देकर उम्मीद जताई कि ऐसा नहीं होगा

Maratha Reservation: दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के लिए 50 फीसदी तय किया हुआ है। जबकि, मराठा समुदाय को आरक्षण देने से 50 फीसदी की सीमा का उल्लंघन होता है। पहले भी कोर्ट ने मराठा समुदाय को आरक्षण देने को रद्द किया था।

eknath shinde

मुंबई। महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने विधानसभा से मराठा आरक्षण का बिल पास करा लिया। इस बिल के कानून बनने के बाद महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण मिल सकेगा। महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के लोगों की आबादी करीब 28 फीसदी है। अब बड़ा सवाल ये है कि कहीं आरक्षण की सीमा पार करने की वजह से कोर्ट से मराठा आरक्षण को रद्द तो नहीं कर दिया जाएगा? दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के लिए 50 फीसदी तय किया हुआ है। जबकि, मराठा समुदाय को आरक्षण देने से 50 फीसदी की सीमा का उल्लंघन होता है। पहले भी कोर्ट ने मराठा समुदाय को आरक्षण देने को रद्द किया था।

हालांकि, महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे को उम्मीद है कि कोर्ट इस बार मराठा समुदाय को आरक्षण देने के कानून को रद्द नहीं करेगा। एकनाथ शिंदे ने जब मंगलवार को विधानसभा में मराठा समुदाय को आरक्षण देने वाला बिल पेश किया था, तो उन्होंने कहा था कि 22 राज्यों में 50 फीसदी आरक्षण की सीमा पार हो चुकी है। एकनाथ शिंदे ने तमिलनाडु, राजस्थान, हरियाणा, बिहार, गुजरात और पश्चिम बंगाल का उदाहरण भी दिया था। इन सभी राज्यों में आरक्षण की सीमा 55 फीसदी से लेकर 69 फीसदी तक है। इसके अलावा केंद्र की मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण दिया और सुप्रीम कोर्ट ने इसे सही बताया। इन्हीं आंकड़ों की बिनाह पर शिंदे सरकार मराठा समुदाय को 10 फीसदी आरक्षण देने का बिल लाई है।

मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए एकनाथ शिंदे सरकार ने बिल तो पास करा लिया, लेकिन इस आरक्षण की मांग कर रहे मनोज जरांगे पाटिल इसके बाद भी खुश नहीं हैं। मनोज जरांगे पाटिल ने अपना अनशन जारी रखने का एलान किया है। मनोज जरांगे पाटिल ने मराठा आरक्षण की मांग को लेकर पहले भी कई बार आमरण अनशन किया। इसके बाद ही एकनाथ शिंदे सरकार ने विधानसभा में बिल पेश कर मराठा समुदाय को आरक्षण देने की बात कही थी। बिल पर अभी गवर्नर के दस्तखत होने हैं। इसके बाद ही मराठा आरक्षण लागू होगा।

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