वॉशिंगटन। कोरोना से जारी जंग में अमेरिकी वैज्ञानिकों को बड़ी कामयाबी मिली है। वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने कोरोनाग्रस्त लोगों के शरीर में ऐसी एंटीबॉडी तलाश ली हैं, जिनसे कोरोना के किसी भी वैरिएंट को ढेर किया जा सकेगा। रिसर्चर्स ने अपने शोध को जर्नल साइंस में छपवाया है। इसमें कोरोना से पीड़ित इंसानों के शरीर में पांच ऐसी मोनोक्लोनल एंटीबॉडी मिली हैं, जिससे कोरोना वायरस के किसी भी रूप से निपटा जा सकेगा। शोध में कुछ इंसानों के शरीर से प्लाज्मा लिया गया। इस प्लाज्मा में मेमोबी-बी सेल्स मिले। जो कोरोना से निपटने का काम करते हैं।
मेमोरी सेल्स दरअसल सफेद रक्त कोशिकाएं होती हैं। इनमें ये ताकत होती है कि वे शरीर में प्रवेश करने वाले वायरस और बैक्टीरिया को पहचान जाती हैं। जब दोबारा यही वायरस या बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश करते हैं, तो ये मेमोरी-बी सेल्स उससे लड़ने लगते हैं।
वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स की हेड डोरा पिंटो के मुताबिक पांच तरह की ऐसी एंटीबॉडी उन्होंने तलाशी हैं, लेकिन इनमें से सबसे कारगर S2P6 को माना जा रहा है। इस एंटीबॉडी से तीन तरह के कोरोना वायरस को खत्म होते देखा गया है। यह एंटीबॉडी कोरोना के स्पाइक प्रोटीन के स्टेम हेलिक्स को निशाना बनाती हैं। इससे वायरस सेल्स के जरिए शरीर के अंगों में प्रवेश नहीं कर पाता है।
खास बात है कि स्टेम हेलिक्स सभी कोरोना वायरस में एक ही जैसा होता है और वायरस के म्यूटेंट या वैरिएंट अलग होने पर भी ये नहीं बदलते। रिसर्च से पता चला है कि आम तौर पर चमगादड़ों में कोरोना वायरस पनपते हैं और ये इंसानों के लिए खतरनाक होते हैं। रिसर्च टीम ने इसे कोविड-19 के खिलाफ इस्तेमाल किया और पाया कि मरीजों को अगर S2P6 एंटीबॉडी दी जाए, तो वायरल लोड कम हो जाता है।