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Bihar Minister Against Ram Temple: राम मंदिर के खिलाफ अब बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर का बयान, आरजेडी विधायक के पोस्टर का समर्थन कर बोले- मंदिर का रास्ता गुलामी का

Bihar Education Minister Chandra shekhar 1

डेहरी (रोहतास)। राम मंदिर में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होनी है। इससे पहले विपक्षी नेताओं की तरफ से राम मंदिर के खिलाफ बयान देना लगातार जारी है। ताजा बयान बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने दिया है। चंद्रशेखर ने रोहतास के डेहरी में कहा कि राम मंदिर का रास्ता गुलामी और स्कूल का रास्ता प्रकाश का है। चंद्रशेखर ने आरजेडी के विधायक फतेह बहादुर के उस विवादित पोस्टर का समर्थन किया, जो कुछ दिन पहले लगाया गया था। चंद्रशेखर ने कहा कि फतेह बहादुर ने देश की पहली महिला शिक्षक सावित्रीबाई फुले की बात को अपने पोस्टर में लिखा था कि मंदिर का मतलब मानसिक गुलामी का मार्ग है।

चंद्रशेखर ने इसके बाद भड़काऊ बातें भी कहीं। उन्होंने कहा कि फतेह बहादुर के गले की कीमत कुछ साजिश रचने वालों ने लगा दी। बिहार के शिक्षा मंत्री ने कहा कि अब एकलव्य का बेटा अंगूठा दान नहीं देगा, शहीद जगदेव प्रसाद का बेटा आहुति नहीं देगा। अब आहुति लेना जानता है। चंद्रशेखर ने आगे कहा कि षड्यंत्र करने वाले याद रखें कि बहुजन का इतना पसीना बहेगा कि समुद्र बन जाएगा और विरोधी सात समुद्र पार खड़े दिखेंगे। उन्होंने कहा कि जो सीख यहां के लोगों को आज मिली है, इससे लोग जागेंगे और ऐतिहासिक परिवर्तन करेंगे। इससे पहले फतेह बहादुर ने जो बड़ा पोस्टर लगाया था, उसमें आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी की भी तस्वीरें थीं। हालांकि, आरजेडी की तरफ से फतेह बहादुर के इस पोस्टर पर कोई टिप्पणी नहीं की गई।

चंद्रशेखर और स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस के बारे में भी विवादित बयान दिए थे।

अगर बात बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की करें, तो उन्होंने हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ रामचरितमानस की चौपाइयों के बारे में विवादित बातें पहली की थीं। चंद्रशेखर के रामचरितमानस मामले में दिए बयान पर बिहार सरकार में शामिल जेडीयू तक ने विरोध जताया था। वहीं, आरजेडी ने चंद्रशेखर के बयान से पल्ला झाड़ लिया था। तब आरजेडी की तरफ से ये कहा गया था कि पार्टी सभी धर्मों का सम्मान करती है। चंद्रशेखर के बयान के बाद यूपी में सपा के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी रामचरितमानस के खिलाफ बयानबाजी की थी। जिसके बाद लखनऊ में इस धार्मिक ग्रंथ की प्रतियों को आग लगाई गई थी और फाड़ा गया था।

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