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Black & Yellow Taxis Of Mumbai: मुंबई में ‘काली-पीली’ का सफर हुआ खत्म, कई दशक से मायानगरी के लोगों की जिंदगी से जुड़ी हुई थीं इस रंग की प्रीमियर पद्मिनी टैक्सियां

साल 1964 में फिएट नाम से इटली की कंपनी की ये कार भारत में बननी शुरू हुई थी। तब 1200 सीसी की इस कार के तमाम दीवाने थे। उस वक्त हर किसी के पास इतना पैसा नहीं होता था कि वो कार खरीद और उसे मेंटेन कर सके। फिर भी मुंबई में इसे बतौर टैक्सी उतारा गया और ये आम मुंबईकरों में छा गई।

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मुंबई। आज से मुंबई के लोगों की जिंदगी से कई दशक पुरानी एक अहम चीज खत्म हो गई है। मुंबई के लोग अपने लिए इस अहम चीज को ‘काली-पीली’ कहते थे। काली-पीली यानी मुंबई में चलने वाली प्रीमियर पद्मिनी टैक्सियां। आम मुंबईकरों की जिंदगी से ये काली-पीली प्रीमियर पद्मिनी टैक्सियां इस तरह जुड़ी हुई थीं, कि मायानगरी के ज्यादातर लोगों का मानना है कि वो सफर कराने वाली इन गाड़ियों को कभी भूल नहीं सकेंगे। इससे पहले बेस्ट ने कुछ दिनों पहले मुंबई में अपनी पुरानी डबल डेकर बस की सेवा भी बंद की थी। काली-पीली यानी मुंबई की टैक्सियों को बंद करने का फैसला इनके पुराने होने की वजह से किया गया। मुंबई की ये काली-पीली टैक्सियां कई दशक तक महानगर या यूं कहें कि देश की आर्थिक राजधानी और फिल्म वर्ल्ड में लोगों को एक से दूसरी जगह ले जाने का काम करती रहीं। अब इन टैक्सियों के दर्शन नहीं होंगे। मुंबई में आखिरी बार लोगों ने रविवार को काली-पीली टैक्सियों में सफर किया।

मुंबई के परिवहन विभाग के अनुसार काली-पीली टैक्सी के तौर पर महानगर में आखिरी प्रीमियर पद्मिनी कार का रजिस्ट्रेशन 29 अक्टूबर 2003 को किया गया था। इसके बाद इन टैक्सियों को मुंबई में चलने देने के लिए 20 साल की समयसीमा तय की गई थी। इस तरह रविवार के बाद मुंबई में काली-पीली प्रीमियर पद्मिनी टैक्सियां अब अपना वक्त पूरा कर चुकी हैं। साल 1964 में फिएट नाम से इटली की कंपनी की ये कार भारत में बननी शुरू हुई थी। तब 1200 सीसी की इस कार के तमाम दीवाने थे। हालांकि, उस वक्त हर किसी के पास इतना पैसा नहीं होता था कि वो कार खरीद और उसे मेंटेन कर सके। फिर भी मुंबई में इसे बतौर टैक्सी सड़कों पर उतारा गया और ये आम मुंबईकरों के दिल की रानी बन गई। फिएट से इस कार का नाम प्रीमियर प्रेसीडेंट और फिर प्रीमियर पद्मिनी कर दिया गया था। अपने हर नाम के साथ ये लोगों की पसंदीदा बनी रही।

प्रीमियर पद्मिनी लोगों के बीच कितनी फेमस थी, ये इसी से पता चलता है कि पीएम रहते लाल बहादुर शास्त्री ने भी बैंक से कर्ज लेकर इस कार को खरीदा था। हालांकि, इसके कुछ दिन बाद ही रूस में उनका निधन हो गया और उनकी पत्नी ललिता शास्त्री ने फिर प्रीमियर पद्मिनी कार का कर्ज चुकाया। अगर मुंबई में इन काली-पीली टैक्सियों की बात करें, तो 1990 के दौर में महानगर में इनकी संख्या 60000 थी। जबकि, मौजूदा वक्त में मुंबई में 40000 से ज्यादा प्रीमियर पद्मिनी टैक्सियां चल रही थीं। इनमें से एक टैक्सी को म्यूजियम में संरक्षित करने की मांग भी हुई, लेकिन सरकार ने इससे इनकार कर दिया। इन प्रीमियर पद्मिनी कारों को 2001 में कंपनी ने बनाना बंद कर दिया था। अब देश में पुरानी कार बतौर टैक्सी कोलकाता में चलती हैं। कोलकाता में पुरानी अम्बेसडर कारों को पीले रंग की टैक्सी के तौर पर अब भी देखा जा सकता है।

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