नई दिल्ली। चीन और भारत के बीच सीमा विवाद अभी तक थमा नहीं है। चीन लगातार सीमा पर अपनी नापाक हरकत बढ़ाता जा रहा है। दूसरी तरफ भारतीय सेना, भारत की सरकार और अन्य संस्थानों ने भी चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए कमर कस ली है। इस सब के बीच भारत के बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन को भी सरकार की तरफ से पूरी तरह से अपने काम को लेकर खुली छूट दी गई है। सरकार की तरफ से मिले इस फ्री हैंड के बाद बीआरओ रोज कुछ ऐसा कर रही है जिसने चीन की नींद उड़ा दी है। अब बीआरओ ने एक ऐसा काम पूर्वी लद्दाख में कर दिया है जिसके बाद चीन की मुश्किल ज्यादा बढ़ गई है।
दरअसल बीआरओ ने पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी के करीब दुनिया की सबसे ऊंची सड़क बना दी है। यह सड़क बीआरओ ने 19 हजार 300 (19,300 फीट) की उंचाई पर उमलिंग-ला दर्रे पर मोटर-मार्ग के बीच बनाकर पूरी कर ली है। आपको बता दें कि इसी के करीब भारत और चीन के बीच विवादित डेमचोक इलाका पड़ता है।
बीआरओ की तरफ से उमलिंग-ला पास (दर्रे) पर सड़क बनाने का दावा किया गया। इसकी जानकारी बीआरओ ने अपने आधिकारिक ट्वीटर एकाउंट के जरिए दी और लिखा कि उमलिंग-ला दर्रे की सड़क तैयार है। इसके साथ ही यहां का वीडियो भी जारी किया गया। बीआरओ ने लिखा कि ‘प्रोजेक्ट हिमांक’ के दुनिया की सबसे उंची सड़क निर्माण बनाने का संकल्प देखिए। बीआरओ की मानें तो यहां माइनस (-) 40 डिग्री सेल्सियस तापमान पर आदमी और मशीन दोनों की परीक्षा के बीच इस सड़क का निर्माण किया गया है। यह इलाका काम करने के लिहाज से बेहद ही मुश्किलों भरा है। लेकिन बीआरओ के ‘कर्मयोगियों’ ने अपनी जान जोखिम में डालकर दुनिया के बेहद ही मुश्किल लक्ष्य को सफलता-पूर्वक पूरा कर लिया है।
Making of #World‘s #highest #Motorable Road
Watch the Mountainous resolve of Proj Himank while constructing the World’s highest motorable road at Umlingla Pass..(1/n)@PMOIndia@rajnathsingh@DefenceMinIndia@Gen_VKSingh@AjaybhattBJP4UK @drajaykumar_ias @SpokespersonMoD pic.twitter.com/TB6nJwIpXC
— BORDER ROADS ORGANISATION (@BROindia) July 29, 2021
अभी तक लद्दाख की ही खरदूंगला सड़क (18,380 फीट) को दुनिया की सबसे उंची सड़क माना जाता था। लेकिन बीआरओ की तरफ से बनाई गई उमलिंग-ला दर्रे की सड़क अब दुनिया की सबसे उंची सड़क बन गई है। इस सड़क के बन जाने से पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और हैनले जैसे इलाकों के बीच कनेक्टेविटी तो बढ़ ही जाएगी, साथ ही सेना की आवाजाही भी तेजी से हो सकेगी।
आपको बता दें कि इसी डोमचोक में तिब्बत के धर्म-गुरू दलाई लामा के जन्मदिन के मौके पर जब कुछ स्थानीय लोग इसी महीने जश्न मना रहे थे तो चीनी सैनिकों और चीनी नागरिकों ने बैनर दिखाकर उसका विरोध किया था। साथ ही यह वही डेमचोक के करीब का इलाका है जिसके बारे में हाल ही में खबर आई थी कि यहां चीने नागरिकों ने अपने तीन टेंट लगा लिए हैं। हालांकि, सेना ने साफ किया था कि ये तीनों टेंट दो साल पुराने हैं।