नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के महासचिव डॉक्टर अनिल जैन ने वर्ष 2020-21 के आम बजट को नए भारत का बजट बताया है। जैन के अनुसार, भारत कैसा होगा, इस बजट से परिलक्षित होता है। जैन ने कहा, “हमारी सरकार में महंगाई और बेरोजगारी पर हम लगाम लगाने में सफल हुए हैं। कुछ समय के लिए महंगाई बढ़ी जरूर थी, लेकिन हम इस पर काबू पा लेंगे। पहले मुद्रास्फीति (महंगाई)10.5 प्रतिशत थी, हम इसे 2.5 तक लाने में सफल रहे थे। पूरे विश्व मे मंदी है, यह खत्म हो जाने के बाद मुद्रास्फीति काबू में आ जाएगी।”
उन्होंने आगे कहा, “देश की 67 प्रतिशत आबादी खेती पर निर्भर हैं। सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था और खेती पर खासा जोर दिया है। उम्मीद है कि यह सेक्टर लाभ कमाने वाला साबित होगा। अगर ऐसा हुआ तो लोगों की खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी और लोगों का जीवन स्तर ऊंचा होगा।”
जैन ने कहा, “एलआईसी का विनिवेश एक अच्छा कदम है। इससे पैसे की आवक बढ़ेगी। हम इसे प्राइवेट हाथों में सौप रहे हैं, ऐसा कहना उचित नहीं होगा। सिर्फ 10 फीसदी विनिवेश करने से न तो इसके मालिकाना हक में बदलाव आएगा और न ही इसकी संरचना पर कोई असर पड़ेगा।”
उनके अनुसार, “बजट में दिल्ली को केंद्र में रखकर कई फैसले हुए है। इनकम टैक्स की दरों में छूट की सीमा बढ़ाई गई है। इससे मध्यम वर्ग को काफी राहत मिलेगी। उनके पास पैसे की बचत होगी तो जीवन स्तर ठीक होगा। दिल्ली की बड़ी आबादी मध्यम वर्ग से आती है। नौकरी पेशा लोगों की एक बड़ी मांग थी, जो आज पूरी हुई है।”
अनिल जैन ने कहा, “वित्तमंत्री ने सभी आयामों को बजट में समाहित किया है। दिल्ली विधानसभा चुनाव के हिसाब से इसे नहीं बनाया गया है। नया भारत कैसा हो, किस दिशा में यह चलेगा इसे लेकर बजट बनाया गया है।”
उनके अनुसार, “प्रधानमंत्री ने पहली बार सेंट्रल हॉल में जो कहा था, उसी रास्ते पर बजट बनाया गया है। 900 हजार करोड़ से ज्यादा पैसा गरीबों की माली हालत सुधारने में लगेगा। दीनदयाल जी के अंत्योदय के रास्ते पर बजट है। कृषि से जुड़े हुए जितने भी सेक्टर हैं, सब को लाभ मिलेगा। बजट के माध्यम से कृषि सेक्टर में जोर दिया गया है।”
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा बजट की आलोचना किए जाने पर अनिल जैन ने कहा, “राहुल गांधी पॉइंट वाइज कुछ नहीं कह पा रहे हैं, बजट में क्या अच्छाई है, क्या कमी है, इस पर वह कुछ कहते तो बात समझ में आती। (उनकी) समझ में नहीं आया तो बयान दे रहे हैं। राहुल गांधी ने न तो बजट को ध्यान से सुना, न ही देखा है।”