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Chhattisgarh: वामपंथियों की विघटनकारी गतिविधियों पर अंकुश लगाकर मतांतरित लोगों को अनुसूचित जनजातियों की सूची से बाहर किया जाए: मिलिंद परांडे

रायपुर। ईसाई मिशनरियों, वामपंथियों व उनके इशारों पर कार्य करने वाले लोगों द्वारा जनजातीय समाज के अधिकारों पर कुठाराघात, पूज्य संतों के अपमान तथा हिंसा के सहारे छत्तीसगढ़िया समाज को डराने धमकाने के प्रयासों की विश्व हिन्दू परिषद ने घोर निंदा की है। दो दिन पूर्व गुंडरदेही में हुई हिंसा, तोड़फोड़, एवं मारपीट की घटना पर छोभ व्यक्त करते हुए विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने आज कहा कि यह कोई एक-मेव घटना नहीं है। इससे पूर्व भी गत एक मई को बलोदा जिले के ग्राम तुएगोंदी में भी उन्हीं लोगों द्वारा हिंसा का सहारा लेकर स्थानीय समाज को डराने धमकाने का कुत्सित प्रयास किया गया। उन्होंने आशंका व्यक्त की कि ये घटनाएं माओवादी व ईसाई मिशनरियों द्वारा प्रेरित हैं। छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के प्रदेश अध्यक्ष अमित बघेल द्वारा अपने भाषण में अल्पसंख्यक व अहिंसक जैन समाज के साधु संतों पर की गई अशोभनीय टिप्पणी से सम्पूर्ण हिन्दू समाज की धार्मिक भावनायें आहत हुई हैं। राज्य सरकार को इस विषय में कठोर कदम उठाते हुए हिंसक व समाज कंटकों के विरुद्ध कार्यवाही करनी चाहिए।

आपस में लड़ाकर हिंदू समाज को तोड़ने की मिशनरी और माओवादियों के षड्यन्त्र किसी से छुपे नहीं हैं। हिन्दू समाज को इन्हें समझकर सचेत रहना होगा। विश्व हिन्दू परिषद ऐसी शक्तियों के कुत्सित मंसूबों को अच्छी तरह जानती है। उन्होंने मांग की कि 1) गत 25 मई को गुण्डरदेही में हुई हिंसा के उपद्रवियों और उनके नेता अमित बघेल पर हिंसा, धार्मिक भावनाएं भड़काने, सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने के साथ साथ विभिन्न धाराओं के अंतर्गत कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई कर गिरफ्तार किया जाए ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति राज्य की शांति व्यवस्था और हिन्दू समाज की एकता को खंडित न कर सके। (2)  जनजाति समाज के जो लोग मतांतरित होकर ईसाई या मुसलमान बन गए हैं, उन्हें जनजाति  आरक्षण के लाभ से वंचित किया जाए तथा। (3) हिंसा से प्रभावित व्यापारी तथा अन्य नागरिकों के नुकसान की भरपाई राज्य सरकार करे। (4)  “जनबली’ की धमकी के मध्य नजर, संतों, मंदिरों व उनके आश्रमों की सुरक्षा सुनिश्चित करे राज्य सरकार।

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