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Modi Cabinet Expansion: 2024 तक देश की जनता और अर्थव्यवस्था को सुधारने के उद्देश्य से किया गया मंत्रिमंडल में इतना बड़ा फेरबदल

PM Narendra Modi

नई दिल्ली। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi) ने अपनी कैबिनेट का सबसे बड़ा विस्तार किया। मंत्रिमंडल में कुल 43 नेताओं को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। जिनको शपथ दिलाई गई उनमें 15 कैबिनेट मंत्री हैं। बता दें, शपथ लेने वाले 28 राज्य मंत्रियों में 7 महिलाएं भी शामिल हैं। इस दौरान खास बात ये रही कि पीएम मोदी ने इस बार युवाओं के साथ-साथ महिला पर भी दांव लगाया है तो वहीं कई दिग्गजों को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाया है। माना जा रहा है कि पीएम मोदी ने सरकार की छवि को सुधारने के लिए इतने बड़े पैमाने पर फेरबदल किया है। हालांकि किसी ने ये नहीं सोचा था कि पीएम मोदी इतना बड़ा कदम उठाएंगे और बड़ी संख्या दिग्गज मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाएंगे लेकिन अपने इस कदम से पीएम मोदी ने ये साफ संदेश दे दिया है कि अगर कोई काम में लापरवाही करेगा तो वह उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा देंगे। बता दें कि इस्तीफा देने वालों में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, आईटी मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद, शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक जैसे दिग्गजों के नाम शामिल हैं।

सवाल ये उठाता है कि आखिर पीएम मोदी ने अचानक इतने बड़े पैमाने पर मंत्रिमंडल में क्यों फेरबदल किया। माना जा रहा है कि जिन मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया उसके पीछे की वजह उनके रिपोर्ट कॉर्ड में परफॉरमेंस की कमी और जनता को भरोसे में न ले पाना है। खासकर, कोरोना महामारी के दौर में किस मंत्री का परफॉरमेंस कैसा रहा, यह उनके मंत्रिमंडल में रहने या जाने का एक बड़ा फैक्टर माना जा रहा है। खबरों की मानें तो, पीएम मोदी खुद मंत्रियों के परफॉर्मेंस को कई महीनों परख रहे थे जिसके लिए उन्होंने लंबा वक्त लगाया, तब जाकर उन्होंने छंटनी की सूची तैयार की।

सबसे पहले बात करें स्वास्थ्य मंत्रालय कि तो कोरोना महामारी की दूसरी लहर में देशभर में मचे हाहाकार ने मोदी सरकार की छवि इतना नुकसान पहुंचाया है जितनी पहले कभी नहीं पहुंचा। विपक्ष ने भी कोरोना महामारी को लेकर मोदी सरकार के खराब व्यवस्था पर जमकर घेरा। जिसके चलते डॉ. हर्षवर्धन को स्वास्थ्य मंत्री के पद से इस्तीफा देने पड़ा।

इसके अलावा बात अगर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद की करें, जो कि सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म ट्विटर के खिलाफ जमकर निशाना साधते रहते थे। एक तरफ जहां ट्विटर भारत के नए आईटी कानून नियमों को लेकर आनाकानी करता रहा। इतना ही नहीं ट्विटर ने खुद कानून मंत्री का अकाउंट ही ब्लॉक कर दिया था हालांकि, कुछ देर में ही उनका ट्विटर अकाउंट फिर से ऐक्टिव कर दिया गया लेकिन इसे उनकी छवि को काफी नुकसान उठाना पड़ा। इससे ये भी संदेश गया कि अमेरिकी कंपनी ट्विटर भारत सरकार को आंखें दिखा सकती है। जो कि मोदी सरकार को बिल्कुल मंजूर नहीं था। शायद यही वजह थी कि जिसका खामियाजा उन्हें इस्तीफा देकर उठाना पड़ा।

कोरोना काल में मोदी सरकार की शिक्षा नीति को लेकर भी कई सवाल उठाए गए। माना जा रहा है कि रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को खराब स्वास्थ्य के कारण मंत्री पद छोड़ना पड़ा है लेकिन खबरों के मुताबिक, उनके कार्यकाल में नई शिक्षा नीति की रूपरेखा तो जरूर आ गई, लेकिन स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रमों में बदलाव के मोर्चे पर वो तेजी नहीं दिखी जिसकी पीएम मोदी उम्मीद कर रहे थे।

कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि कोरोना काल में मोदी सरकार की छवि काफी धूमिल हुई। देश ही नहीं बल्कि विदेशी मीडिया में भी सरकार की किरकिरी हुई है और इसका सीधा असर पीएम मोदी की इमेज पर पड़ा। ऐसे में केंद्र सरकार के प्रवक्ता होने के नाते प्रकाश जावडेकर को जो जिम्मेदारी दी गई थी कि वह कोरोना काल में सरकार की इमेज सही करें लेकिन इसमें वह असफल रहे।

आपको बता दें, कोरोना काल में जिस तरह से आम लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। बेरोजगारी, अर्थव्यवस्था, महंगाई समेत कई अहम मुद्दे है जिससे जनता मोदी सरकार से काफी नाराज है। ऐसे में पीएम मोदी 2024 के लोकसभा चुनाव में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते थे और देश की जनता और अर्थव्यवस्था को सुधारने के उद्देश्य से उन्होंने मंत्रिमंडल में इतना बड़ा फेरबदल कर दिया। ऐसे में ये दिखाना दिलचस्प है कि इतने बड़े पैमाने पर फेरबदल करने से मोदी सरकार को क्या फायदा मिलेगा।

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