कोलकाता। कलकत्ता हाईकोर्ट ने 2.5 साल की बच्ची से रेप और उसकी हत्या करने के दोषी सुरेश पासवान को मिली मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस देबांग्शु बसाक और जस्टिस शब्बार रशीदी को बच्ची से रेप और हत्या का मामला रेयरेस्ट ऑफ द रेयर की श्रेणी का नहीं लगा। ट्रायल कोर्ट ने बच्ची से निर्मम व्यवहार के दोषी सुरेश पासवान को मौत की सजा सुनाई थी। ये घटना कोलकाता के खिदिरपुर इलाके में हुई थी। बच्ची अपने परिवार के साथ एक फ्लाईओवर के नीचे सोई थी। जब सुरेश पासवान उसे उठा ले गया और रेप के बाद हत्या कर दी।
कलकत्ता हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि बच्ची से रेप और हत्या के हालात ये नहीं दिखाते कि ये पहले से सुनियोजित था या पीड़ित के परिवार और दोषी के बीच पुरानी रंजिश थी। हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे ही तमाम मामलों को घृणित माना है, लेकिन मौत की सजा सही नहीं मानी है। बेंच ने कहा कि हम ऐसा नहीं पाते कि मामला रेयरेस्ट ऑफ द रेयर की श्रेणी में आता हो और मौत की सजा दी जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि इस वजह से दोषी को उम्रकैद की सजा दी जाती है। पीड़ित की उम्र को देखते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि दोषी को कम से कम 50 साल जेल में रहना होगा। जिसके बाद वो सजा से छूट की अपील कर सकेगा।
बच्ची से रेप और हत्या की घटना के गवाहों ने ट्रायल कोर्ट को बताया था कि घटना के दिन दोषी को पीड़ित के रहने की जगह के आसपास घूमते देखा था। उसी दिन बच्ची लापता हुई थी। उसी दिन रात में करीब 1 बजे गवाहों ने सुरेश पासवान को गोद में बच्ची को ले जाते देखा था। दोषी सुरेश पासवान कोलकाता रॉयल टर्फ क्लब में घोड़ों के साईस का काम करता था। उस पर बच्ची को अगवा करने, रेप करने और जान लेने का आरोप लगा था। उसने मौत की सजा पर कलकत्ता हाईकोर्ट में अपील की थी।