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India-China: तिब्बती कार्यक्रम में भारतीय सांसदों के शामिल होने से तिलमिलाया चीन, तो भारत ने लगाई फटकार, कहा- हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी..!

china and india

नई दिल्ली। अब चीन अपनी हदों को पार करने पर आमादा हो चुका है, लिहाजा अगर समय रहते उस पर अंकुश लगाने की दिशा में उपयुक्त कदम नहीं उठाए गए, तो अब दो नहीं, अपितु तीनों ही देशों, मसलन भारत, चीन और तिब्बत के बीच विवाद की जड़े गहराई जा सकती है। बता दें कि अभी हाल ही में तिब्बत द्वारा आयोजित किए गए कार्यक्रम में बीजू जनता दल के 6 भारतीय सांसदों ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी, जिस पर चीन ने एतराज जताया है। इसके अलावा की चीन की तरफ से भारत को तिब्बत के स्वंतत्र बलों को समर्थन देने से बचने के लिए भी कहा गया। अपने ऐतराज की नुमाइश करते हुए उसने भारत को पत्र भी लिखा है। चीन की तरफ से भेजे गए पत्र को गैर राजनयिक बताया गया है। इस पत्र के संदर्भ में चीनी सलाहकार झोउ यॉन्गशेंग ने कहा कि, मैंने देखा कि ऑल पार्टी इंडियन पॉर्लियांमेट्री फोरम फॉर तिब्बत की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया। मैं इस पर अपनी चिंता जाहिर करना चाहूंगा। यह स्थिति आगे चलकर विकराल रुख अख्तियार कर सकती है, लिहाजा इस पर विराम लगाने की दिशा में रूपरेखा तैयार कर उसे जीवन्त करने की आवश्यकता है। आइए, आगे आपको बताते हैं कि चीन की तरफ भारत को प्रेषित किए गए पत्र में क्या कुछ लिखा गया है।

चीन ने अपने खत में क्या लिखा?

चीन ने भारत को प्रेषित किए गए अपने खत में लिखा कि हम सभी इस बात से भलीभांति परिचित हैं कि Tibetan Parliament-in-exile’ एक अलगाववादी राजनीतिक समूह है। यह एक अवैध संगठन है, जो संविधान और संधियों का उल्लंघन करता है। अभी तक दुनिया के किसी भी देश ने इसे मान्यता नहीं दी है। चीन ने बिना किसी गुरेज के ये साफ कहा कि प्राचीन काल से ही तिब्बत चीन का हिस्सा रहा है, लेकिन आज तिब्बत खुद को एक संप्रभु राष्ट्र बताने की खता कर रहा है, लेकिन तिब्बत चीन का अभिन्न हिस्सा है। लिहाजा तिब्बत की आतंरिक स्थिति चीन की स्थिति है। तिब्बत के आतंरिक मसलों पर फैसले लेने का अधिकार केवल चीन के पास ही है। चीन ने अपने पत्र में भारत का जिक्र करते हुए लिखा कि आपके यहां जो नेता भारत और चीन के संबंधों के जानकार होंगे, उन्हें पता ही होगा कि  तिब्बत चीन का अभिन्न हिस्सा है, लिहाजा वो इस पूरे मसले पर हस्तक्षेप करने से बचेंगे। ऐसे में इन नेताओं से उनके द्वारा दिए गए बयानों में प्रबुद्धता की अपेक्षा की जाती है।

भारत ने दी कड़ी प्रतिक्रिया

वहीं, चीन द्वारा लिखे गए इस पत्र पर बीजेडी के सुजीत कुमार ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत को चीन द्वारा पत्र लिखने पर चीन दूतावास में राजनीतिक सलाहकार कौन है? आखिर चीन की हिम्मत कैसे हुई ये पत्र लिखने की। मुझे लगता है कि चीन के इस कृत्य का अब विदेश मंत्रालय को विरोध करना चाहिए। खैर, अब इसे लेकर भारत की तरफ से क्या प्रतिक्रिया दी जाती है। ये देखने वाली बात होगी। लेकिन यहां हैरान करने वाली बात यह है कि केंद्र सरकार ने खुद अपने सांसदों को भारत चीन के द्विपक्षीय संबंधों का हवाला देते हुए सांसदों को शामिल न होने की हिदायत दी है। खैर, अब यह पूरा मसला आगे चलकर क्या रुख अख्तियार करता है। यह प्रश्न अभी भविष्य के गर्भ में छुपा है।

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