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महाविकास अघाड़ी के दलों में बढ़ी दूरियां, एक तरफ भ्रष्टाचार तो दूसरी तरफ कलह की वजह से मुश्किल में उद्धव सरकार

Sonia Gandhi Uddhav Sharad Pawar

मुंबई। बीजेपी का दामन झटककर उद्धव ठाकरे ने एनसीपी और कांग्रेस से हाथ मिलाकर महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार बना तो ली, लेकिन अब यही सरकार खतरे में घिरी है। सरकार खतरे में है, तो उद्धव के लिए भी सीएम पद गंवाने का खतरा हो गया है। तमाम वजह हैं, जिनके असर से सरकार हिचकोले खा रही है। पुराने गिले-शिकवे भूलकर शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस एक तो हो गए, लेकिन एंटीलिया केस के खुलासे और गृह मंत्री पद से अनिल देशमुख की विदाई के बाद से कोई दिन नहीं बीत रहा, जब अघाड़ी सरकार में उखाड़ पछाड़ न मचती हो। कभी कांग्रेस, तो कभी एनसीपी और शिवसेना। बयानबाजी और एक-दूसरे को निशाना बनाने की वजह से सरकार की नैया कभी भी डूब सकती है। ताजा मामला एनसीपी सांसद आलोक कोल्पे और शिवसेना के पूर्व सांसद शिवाजीराव पाटिल के बीच बयानों की ताजा तकरार ने गठबंधन में एक और दरार को सामने ला दिया है। कुछ दिन पहले तक कांग्रेस के नाना पटोले उद्धव ठाकरे और शरद पवार के खिलाफ बयानों की झड़ी लगाए हुए थे। पटोले तो ये भी कह चुके हैं कि महाराष्ट्र में अगला विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अकेले दम पर मैदान में उतरेगी।

उधर, शरद पवार के भतीजे और उद्धव सरकार में डिप्टी सीएम अजित पवार पर महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक मामले की जांच में ईडी ने बड़ी कार्रवाई की है। ईडी अब तक अजित और उनकी पत्नी की 65 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त कर चुकी है। महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की 300 करोड़ की संपत्ति जब्त होने की बात मीडिया में आई थी, लेकिन देशमुख कह रहे हैं कि उनकी 4 करोड़ 20 लाख की संपत्ति ही ईडी ने जब्त की है।

 

सरकार की हालत कैसी है ये इसी से समझा जा सकता है कि एनसीपी चीफ शरद पवार बीते दिनों दिल्ली आकर पीएम मोदी से मिले थे। दोनों के बीच क्या बात हुई, ये तो पता नहीं चला। फिर भी कयास ये लगाए गए कि एनसीपी अगर अघाड़ी सरकार से अलग होती है, तो बीजेपी के साथ मिलकर वह सरकार बना सकती है। उधर, विषम हालात देखकर शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत भी अपना सुर पहले के मुकाबले बीजेपी के प्रति नरम कर चुके हैं। हाल के दिनों में संजय राउत ने कई बार बीजेपी की तारीफ भी की है। इसे भी गठबंधन सरकार गिरने की स्थिति में बीजेपी के साथ दोबारा मिलकर सरकार बनाने के लिए रास्ता खुला रखने के तौर पर देखा जा रहा है।

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