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Bihar: मुख्यमंत्री माफी मांगे नहीं तो…’, महिलाओं पर अशोभनीय टिप्पणी कर फंसे CM नीतीश, NCW ने की ये मांग

नई दिल्ली। बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिलाओं के संदर्भ में एक ऐसा बयान दे दिया जिसके बाद चौतरफा उन्हें आलोचनाओं का शिकार होना पड़ रहा है। सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ लोग अपना रोष जाहिर कर रहे हैं कि आखिर मुख्यमंत्री सरीखे संवैधानिक पद पर बैठा कोई नेता ऐसी अशोभनीय टिप्पणी विधानसभा जैसे संस्थान में कैसे कर सकता है। बीजेपी ने भी सीएम नीतीश की आलोचना की है। उधर, राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी नीतीश के बयान को संज्ञान में लेने के बाद उनकी आचोलना की है। आइए, आगे आपको बताते हैं कि राष्ट्रीय महिला आयोग ने अपने बयान में क्या कुछ कहा है।

NCW का बयान

उधर, राष्ट्रीय महिला आयोग ने सीएम नीतीश कुमार के अशोभनीय बयान पर कहा कि, ‘”एनसीडब्ल्यू इस देश की हर महिला की ओर से सीएम नीतीश कुमार से तत्काल और स्पष्ट माफी की मांग करता है। विधानसभा में उनकी अशोभनीय टिप्पणी उस गरिमा और सम्मान का अपमान है जिसकी हर महिला हकदार है। उनके भाषण के दौरान इस तरह की अपमानजनक और घटिया भाषा का इस्तेमाल किया गया।” यह हमारे समाज पर एक काला धब्बा है। अगर कोई नेता लोकतंत्र में इतनी खुलेआम ऐसी टिप्पणियाँ कर सकता है, तो कोई केवल कल्पना कर सकता है कि उसके नेतृत्व में राज्य को कितनी भयावहता झेलनी पड़ रही होगी। हम इस तरह के व्यवहार के खिलाफ मजबूती से खड़े हैं और जवाबदेही की मांग करते हैं।”

CM नीतीश ने अपने बयान में क्या कहा?

दरअसल, सीएम नीतीश आज बिहार विधानसभा में जातिगत जनगणना की रिपोर्ट पेश किए जाने के दौरान महिला और जनसंख्या नियंत्रण पर बयान दे रहे थे। नीतीश कुमार ने कहा कि अगर महिला पढ़ी लिखी होंगी, तो जनसंख्या नियंत्रण पर रोक लगेगी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने तो भरी विधानसभा में पूरी यौन क्रिया ही समझा दी। उन्होंने कहा कि, ‘ ‘लड़की पढ़ लेगी अगर, तो जब शादी होगा. तब पुरुष रोज रात में करता है ना. उसी में और (बच्चे) पैदा हो जाता है. लड़की अगर पढ़ लेगी तो उसको भीतर मत …. …, उसको …. कर दो. इसी में संख्या घट रही है।’

सीएम नीतीश ने की ये मांग

उधर, सीएम नीतीश कुमार ने विधानसभा में आरक्षण की सीमा बढ़ाए जाने के संदर्भ में प्रस्ताव भी पेश किया। जिस पर अब कैबिनेट ने मुहर लगा दी है। बता दें कि मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में 50 फीसद आरक्षण का प्रावधान है, जिसे बढ़ाकर 75 फीसद कर दिया जाना चाहिए, जिसमें प्रमुख रूप से अति-पिछड़ों को जगह दी जानी चाहिए। वहीं, अब इस संदर्भ में विधेयक आगामी 9 नवंबर को विधानसभा में पेश किया जाएगा। अब ऐसे में आगामी दिनों में बिहार सरकार की ओर से क्या कुछ कदम उठाए जाते हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

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