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Rajasthan: दलितों पर हो रहे अत्याचार से आहत हुए कांग्रेस विधायक ने दिया इस्तीफा, गहलोत सरकार की खोल दी पोल

नई दिल्ली। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी शासन- प्रणाली के नाम तारीफ में कितने भी कसीद क्यों ना काढ़ लें। दलितों, वंचितों और शोषितों के हित में काम करने के कितने भी दावे और वादे क्यों कर लें, लेकिन जमीनी हकीकत तो यह है कि गहलोत राज में सूबे की जनता की बेबसी, लाचारी, बदहाली और गुरबत अब अपने चरम पर पहुंच चुकी है। आलम यह है कि आम जनता का जीना दुभर हो चुका है, लेकिन सूबे की गहलोत सरकार को इससे कोई भी फर्क पड़ता हुआ नजर नहीं आ रहा है, वो तो महज अपनी शासन प्रणाली के नाम तारीफ के पुल बांधने में मसरूफ रहते हैं। अब देखिए ताजा प्रकरण जालौर का है। जहां एक शिक्षक ने एक दलित छात्र को पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया। उस दलित छात्र का गुनाह महज इतना था कि उसने घड़े से पानी पी लिया था। बहरहाल, पुलिस प्रशासन ने उपरोक्त प्रकरण को संज्ञान में लेकर कार्रवाई का सिलसिला शुरू किया। इस मामले से आहत हुए सभी लोग आरोपी शिक्षक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं।

अब ऐसे में सवाल अब यह है कि सरकार उपरोक्त प्रकरण को संज्ञान में लेने के उपरांत क्या कुछ कार्रवाई करती है। लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि सूबे में दलित पर हुए अत्याचार का यह कोई इकलौता माजरा नहीं है, बल्कि इससे पहले भी दलितों पर हुए अत्याचार के कई मामले प्रकाश में आ चुके हैं और इन मामलों को संज्ञान में लेने के बाद सरकार की तरफ से भी कोई संतुष्टिजनक कार्य नहीं किए गए हैं। जिसका ही यह परिणाम है कि आज की तारीख में राजस्थान में दलितों पर अत्याचार के मामलों में तेजी से वृद्धि देखने को मिल रही है, मगर गहलोत सरकार का इस ओर तनिक भी ध्यान नहीं है, जिससे आहत होकर विधायक पनाचंद ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा सीएम अशोक गहलोत के अलावा विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी को भी भेज दिया है ।

बता दें कि इस्तीफा देने के साथ ही कांग्रेस विधायक ने गहलोत सरकार की पोल खोलकर रख दी है। उन्होंने अपने द्वारा लिखित इस्तीफा पत्र में इस बात का जिक्र किया है कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में दलितों पर अत्याचार के मामले अपने चरम पर पहुंच चुके हैं। आलम यह है कि अब सूबे में दलितों का जीना दुश्वार हो चुका है, लेकिन गहलोत सरकार का बिल्कुल तटस्थ नजर आ रही है।

ध्यान रहे कि यह कोई पहली मर्तबा नहीं है कि जब सीएम अशोक गहलोत को दलितों पर अत्याचार के मसले को लेकर सवालों के कठघरे में खड़ा किया गया है, बल्कि इससे पहले भी उन्हें कई मौकों पर दलितों पर अत्याचार के मसले को लेकर उनके सरकार के मंत्री उन पर सवाल दाग चुके हैं, लेकिन अफसोस गहलोत को अभी तक इससे कोई फर्क पड़ता हुआ नजर नहीं आ रहा है।

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