नई दिल्ली। मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस के नए मुखिया (अध्यक्ष) के रूप में चुने जाने के बाद जैसे ही उन्होंने अपना कार्यभार संभाला, उसके तुरंत बाद कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के सभी सदस्यों, महासचिवों और प्रभारियों ने नयी टीम बनाने में उनकी मदद के लिए अपने पदों से इस्तीफा दे दिया। आपको बता दें कि कांग्रेस में नए अध्यक्ष के चयन के बाद पार्टी के सभी पदाधिकारियों के इस्तीफा देने की परंपरा रही है। जिससे को नए सिरे से कार्यसमिति द्वारा रणनीति बनाई जा सके। इसपर बात करते हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव के सी वेणुगोपाल ने बताया कि कांग्रेस कार्यसमिति के सभी सदस्यों, एआईसीसी के महासचिवों और प्रभारियों ने कांग्रेस अध्यक्ष को अपना इस्तीफा पकड़ा दिया है।’
गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी के संविधान के अनुसार, खड़गे के निर्वाचन की पुष्टि पार्टी के पूर्ण सत्र में ही की सकेगी, जो इस साल मार्च-अप्रैल में होने की संभावना है। (CWC) काँग्रेस कार्यसमिति कांग्रेस की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था है, खरगे द्वारा पूर्ण सत्र के तुरंत बाद पुनर्गठित की जाएगी। पार्टी संविधान के मुताबिक, सीडब्ल्यूसी के 11 सदस्य मनोनीत किए जाएंगे और 12 सदस्य निर्वाचित होंगे। इसके अलावा, संसद में पार्टी के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष भी कार्य समिति के सदस्य शामिल होंगे।
वहीं मल्लिकार्जुन खड़गे के अध्यक्ष बनने के बाद उनके सामने कई चुनौतियां भी होंगी। हिमाचल और गुजरात के चुनाव नतीजे आने के बाद खड़गे के लिए बड़ी चुनौती राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव भी होंगे। अगले साल इन राज्यों में चुनाव हैं। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पिछली बार कांग्रेस ने चुनाव जीतकर सत्ता संभाली थी। ऐसे में खड़गे को ऐसी रणनीति बनानी होगी, जिससे कम से कम ये दोनों राज्य कांग्रेस के हाथ से न जाएं। अगर इसमें वो विफल रहते हैं, तो उनको चुने जाने पर तमाम सवाल उठ सकते हैं। इसके बाद 2024 की चुनौती भी खड़गे के सामने है। फिलहाल पीएम नरेंद्र मोदी की जनता के बीच छवि बहुत ताकतवर नेता की है। वहीं, कांग्रेस राहुल गांधी को पीएम पद के लिए प्रोजेक्ट करती रही है। मोदी के खिलाफ राहुल को किस तरह खड़गे पीएम पद के लिए मुकाबले में मजबूत बनाएंगे, इस पर भी सबकी नजर है।