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कैंसर पीड़ित के लिए देवदूत बनकर, बाइकर्स ग्रुप ने 700 किलोमीटर दूर पहुंचाई जरूरी दवाएं

नई दिल्ली। महामारी कोरोनावायरस ने दुनिया को बदल कर रख दिया है। बड़ी से बड़ी महाशक्तियां कोविड-19 के आगे घुटने टेक चुकी हैं। ऐसे में कई गैर सरकारी संस्थाएं लोगों की मदद के लिए आगे आ रही हैं। साथ ही एक कोशिश भी कर रही हैं कि किसी भी जरूरतमंद को समय रहते मदद मिल सके चाहे वह दवाइयों की मदद हो या फिर खाने को लेकर।

हर तरह से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोई भी व्यक्ति संकट काल के दौरान भूखा ना रहे और दवाइयों के अभाव के कारण किसी को कोई परेशानी ना हो। भारत में भी कई एनजीओ लोगों की मदद कर रहे हैं। हाल ही में बाइकर्स के एक ग्रुप ने एक केंसर के मरीज को दवा पहुंचाने के 700 किमी का फासला तय किया। दरअसल केरल के कूनूर में रहने वाले कर्नल नाम्बियार पिछले कुछ साल से एक और जंग लड़ रहे हैं और ये जंग है कैंसर की।

कूनूर जैसे छोटे शहर में उनकी कैंसर की दवाइयां मिलनी मुश्किल हुईं तो उनकी बहू ने बेंगलुरु से ये दवाइयां कुरियर से भेजना शुरू किया। लेकिन लॉकडाउन की वजह से बहू के लिए भी दवाइयां भेजना नामुमकिन हो गया।

ऐसी मुश्किल घड़ी में ‘राइडर्स रिपब्लिक’ ग्रुप के तीन बाइकर्स सामने आए और उन्होंने कर्नल नाम्बियार और उनके परिवार को अहसास कराया कि इस लड़ाई में वो अकेले नहीं हैं। ये तीनों ‘राइट टू सेव लाइव्स’ मुहिम से जुड़े हैं, जिसे बेंगलुरु पुलिस ने शुरू किया है। इस मुहिम के तहत दूरदराज और ग्रामीण इलाकों में गंभीर मरीजों तक जीवन रक्षा दवाएं पहुंचाई जाती हैं।

बेंगलुरु में यतीश, बाबू और मोहन जैसे बाइकर्स के लिए जीवन बचाने की दवाइयों के साथ इस तरह के लम्बे सफर करना नई बात नहीं है। लम्बे सफर से पहले बाइक्स की फिटनेस को चेक करना इनका रूटीन है। सफर शुरू होने के बाद गर्मी, धूप, बरसात कुछ भी उनके इस पवित्र मिशन का रास्ता नहीं रोक पाते।

कर्नल नाम्बियार की दवाइयों के साथ तीनों बाइकर्स का सफर शुरू हुआ। मंजिल थी केरल की सीमा और फिर बेंगलुरु वापसी। कुल मिलाकर 700 किलोमीटर की राइडम केरल की सीमा तक पहुंच कर इन्होंने कर्नल नाम्बियार की दवाइयां केरल पुलिस को सौंपी, जिससे कि वो आगे उन तक पहुंचा सकें। कूनूर केरल-कर्नाटक सीमा से ज्यादा दूर नहीं है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में लॉकडाउन लागू करने के दौरान लोगों से अपील की थी कि वह अपने पड़ोसियों की जितनी संभव हो सके मदद करें और साथ ही उन्होंने देश के NGO’s से भी अपील की थी कि वह लोगों की मदद के लिए आगे आएं।

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