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Who Was Khwaja Moinuddin Chishti In Hindi: अजमेर शरीफ दरगाह के सर्वे की याचिका पर कोर्ट का नोटिस, जानिए कौन थे ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, जिनकी दरगाह पर मचा है बवाल..?

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण को लेकर विवाद अभी थमा भी नहीं था कि अब राजस्थान के अजमेर का नाम भी चर्चाओं में आ गया है। वजह है प्रसिद्ध अजमेर शरीफ दरगाह के सर्वेक्षण की मांग वाली एक याचिका। राजस्थान के अजमेर की एक स्थानीय अदालत ने बुधवार को इस मामले में केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और अजमेर दरगाह समिति को नोटिस जारी किया है।

याचिका का दावा, दरगाह से पहले था शिव मंदिर

याचिकाकर्ता और हिंदू सेना के प्रमुख विष्णु गुप्ता ने दावा किया है कि अजमेर शरीफ दरगाह पहले एक शिव मंदिर थी, जिसे तोड़कर दरगाह बनाई गई। अदालत ने एएसआई को इस मामले में नोटिस भेजा है, जिससे यह चर्चा तेज हो गई है कि यहां भी काशी और मथुरा की तरह सर्वे हो सकता है।

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, गरीब नवाज की कहानी

अजमेर शरीफ दरगाह 13वीं शताब्दी के सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की समाधि है। फारसी मूल के मोइनुद्दीन चिश्ती को ‘गरीब नवाज’ और ‘सुल्तान-ए-हिंद’ के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने राजस्थान के अजमेर में चिश्ती सूफी आदेश का प्रसार किया। उनकी शिक्षाओं में शांति और सद्भाव का संदेश था, जिसने सभी धर्मों के लोगों को उनकी ओर आकर्षित किया।

कौन थे ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती?

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का जन्म 1143 ईस्वी में ईरान के सिस्तान क्षेत्र में हुआ था। आध्यात्मिक पथ पर चलने के लिए उन्होंने अपने पिता का कारोबार छोड़ दिया। भारत आने से पहले उन्होंने प्रसिद्ध संत हजरत ख्वाजा उस्मान हारूनी से दीक्षा ली। वर्ष 1192 में, तराइन के दूसरे युद्ध के बाद, जब मुहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को हराया, तब ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेर पहुंचे। उनके प्रवचनों और शिक्षाओं ने स्थानीय लोगों को गहराई से प्रभावित किया। उनकी मृत्यु के बाद उनकी समाधि पर मुगल शासकों ने भव्य दरगाह का निर्माण करवाया।

हर साल मनाया जाता है ‘उर्स’

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की पुण्यतिथि पर हर साल ‘उर्स’ का आयोजन होता है। यह एक ऐसा उत्सव है, जहां लोग उनकी मृत्यु को शोक के बजाय जश्न के रूप में मनाते हैं। अनुयायियों का मानना है कि इस दिन संत अपने ईश्वर से मिलन करते हैं।

अब क्या होगा?

अजमेर की अदालत द्वारा नोटिस जारी करने के बाद, अब सभी की निगाहें इस मामले पर टिक गई हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और अन्य संबंधित पक्ष इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।

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