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coronavirus: महामारी की मार झेल रहे भारत के साथ लड़ाई में दलाई लामा ने दिया योगदान

धर्मशाला। तिब्बतियों के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने मंगलवार को कोरोना महामारी के बीच अपने सभी भारतीय भाई-बहनों के प्रति एकजुटता दिखाते हुए पीएम-केयर्स फंड में योगदान देने के घोषणा की। दलाई लामा ने अपने एक बयान में कहा है, “भारत सहित पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी के चलते जिन चुनौतियों का सामना कर रहा है, उनसे मैं अवगत हूं और चिंतित भी हूं।”

उन्होंने आगे कहा, “कोरोनावायरस के मामलों में हो रही वृद्धि के इस मुश्किल दौर में अपने सभी भारतीय भाई-बहनों के प्रति एकजुटता दिखाते हुए मैंने दलाई लामा ट्रस्ट से पीएम-केयर्स फंड में दान देने के लिए कहा है।”

दलाई लामा इसके बाद कहते हैं, “इस विनाशकारी महामारी से निपटने के लिए जितने भी प्रयास किए जा रहे हैं, उसकी सराहना किए जाने का यह मेरे लिए एक अवसर है, खासकर जो फ्रंटलाइन पर काम कर रहे हैं। मैं इस महामारी के जल्दी खत्म होने की प्रार्थना करता हूं।”

दलाई लामा ने लगवाई थी कोरोना वैक्सीन, लोगों से भी की टीका लगवाने की थी अपील (वीडियो)

तिब्बत के निर्वासित धर्मगुरु दलाई लामा (Dalai Lama) ने शनिवार को हिमाचल प्रदेश में अपने निवास स्थान के पास एक सरकारी अस्पताल में कोविड-19 (Corona Vaccine) की पहली वैक्सीन लगवाई। उन्होंने लोगों से भी इस महामारी से बचने के लिए टीका लगवाने का आग्रह किया। डॉक्टरों ने इस आशय की जानकारी दी। वैक्सीन लगवाने के बाद 85 वर्षीय नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाई लामा ने केंद्र और राज्य सरकारों को धर्मशाला के जोनल अस्पताल में कोविड वैक्सीन लेने की सुविधा के लिए धन्यवाद दिया।

उन्होंने टीका लगवाने के पात्र सभी लोगों विशेष रूप से ‘रोगियों’ से अपील की कि वे आगे आएं और अधिक से अधिक लाभ के लिए वैक्सीन लगवाएं। उन्होंने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए मैंने इसे वैक्सीन ली और मैं यह साझा करना चाहता हूं कि अधिक से अधिक लोगों को इंजेक्शन लेने का साहस दिखाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि डॉक्टरों एवं मेरे विश्वस्त दोस्तों ने सुझाया कि मुझे यह इंजेक्शन लेना चाहिए। कुछ गंभीर समस्या को रोकने के लिए यह इंजेक्शन बहुत मददगार और अच्छा है। इसलिए अन्य रोगियों को अधिक लाभ के लिए इस इंजेक्शन को लेना चाहिए। 14वें दलाई लामा का जन्म 6 जुलाई, 1935 को तिब्बत के दूरस्थ अमदो क्षेत्र के एक छोटे से गांव में हुआ था। निर्वासित तिब्बती प्रशासन हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी शहर धर्मशाला में स्थित है।

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