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UP: देवबंद के जिस दारुल उलूम से जारी होते हैं फतवे, उसका मदरसा नहीं है यूपी के सरकारी बोर्ड में रजिस्टर्ड, सर्वे से खुलासा

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सहारनपुर। आए दिन आप यूपी के देवबंद स्थित दारुल उलूम के फतवों के बारे में पढ़ते होंगे। यहां 156 साल पुराना मदरसा है। यूपी सरकार के सर्वे में इस मदरसे के बारे में बड़ा खुलासा हुआ है। सर्वे में पता चला है कि डेढ़ सौ साल से भी ज्यादा पुराना दारुल उलूम का मदरसा यूपी मदरसा बोर्ड में रजिस्टर्ड तक नहीं है। इस मदरसे को सोसाइटी एक्ट में रजिस्टर्ड कराकर चलाया जा रहा है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सूबे के सभी मदरसों के सर्वे का आदेश दिया था। इस सर्वे से पता कराया जा रहा है कि यूपी में कितने मदरसे अवैध हैं और कितनों को सरकारी मान्यता नहीं मिली हुई है।

सहारनपुर के डीएम अखिलेश सिंह के मुताबिक 10 सितंबर से मदरसों के सर्वे का काम शुरू हुआ था। सर्वे से पता चला कि सहारनपुर सदर तहसील में सबसे ज्यादा ऐसे 123 मदरसे हैं, जिनको सरकार से कोई मदद नहीं मिलती। सबसे कम ऐसे मदरसे बेहट तहसील में हैं। सहारनपुर जिले की बात करें, तो यहां अब तक गैर सहायता प्राप्त 360 से ज्यादा मदरसे मिले हैं। डीएम के मुताबिक सर्वे की रिपोर्ट तैयार कर अगले महीने की 15 तारीख तक शासन को भेजा जाना है। ऐसे में युद्धस्तर पर बाकी मदरसों के सर्वे का काम चल रहा है।

बता दें कि दारुल उलूम देवबंद में मदरसों के सर्वे पर उलेमाओं का सम्मेलन भी हो चुका है। यहां उलेमा काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा था कि मदरसों का सर्वे करना सरकार का हक है। अवैध गतिविधियों का पता लगाना भी सरकार की जिम्मेदारी है। वहीं, दारुल उलूम ने मदरसों के सर्वे पर अलग से बयान जारी किया था। इसमें कहा गया था कि सरकारी सर्वे से किसी मदरसे के प्रबंधन को डरना नहीं चाहिए। इस सर्वे में सहयोग कर सही जानकारी देनी चाहिए। योगी सरकार की ओर से मदरसों के सर्वे कराने के फैसले पर खूब सियासत हुई थी। असदुद्दीन ओवैसी समेत कई मुसलमान नेताओं ने इसका विरोध किया था। इनका कहना था कि योगी सरकार सर्वे की आड़ में मदरसों को बंद कराना चाहती है। वहीं, यूपी सरकार का कहना है कि वो मदरसों के शिक्षकों और छात्रों की भलाई के लिए सर्वे करा रही है।

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