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विजय रूपाणी के इस्तीफे के बाद पहली बार आई बेटी की प्रतिक्रिया, कहा- मेरे पिता ने कभी भी गुटबाजी का नहीं किया समर्थन

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नई दिल्ली। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के इस्तीफे के बाद पहली बार उनकी बेटी राधिका रूपाणी की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने रविवार को सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट शेयर किया है। जिसमें उन्होंने अपने पिता के संघर्ष के बारे में बताया है। इतना ही नहीं, इस पोस्ट के जरिए राधिका ने उन लोगों को भी आड़े हाथों लिया है, जिन्होंने उनके पिता की मृदुभाषी छवि को उनके फेल होने का कारण बताया।

राधिका ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा है- ”क्या राजनेताओं में संवेदनशीलता नहीं होना चाहिए? क्या यह एक आवश्यक गुण नहीं है जो हमें एक नेता में चाहिए? क्या नेता अपने मृदुभाषी छवि के जरिए लोगों की सेवा नहीं करते।”

राधिका ने अपनी फेसबुक पोस्ट में आगे लिखा- ”मेरे पिता का संघर्ष वर्ष 1979 में शुरू हुआ था। उस दौरान उन्होंने मोरबी बाढ़, अमरेली में बादल फटने की घटना, कच्छ भूकंप, स्वामीनारायण मंदिर आतंकवादी हमले, गोधरा की घटना, बनासकांठा की बाढ़ के दौरान अपनी जान दांव पर लगाकर लोगों की सेवा की। इतना ही नहीं ताउते तूफान और यहां तक कि कोविड के दौरान भी मेरे पिता पूरी जी-जान लगाकर काम कर रहे थे।”

आंतकी हमले के वक्त नरेंद्र मोदी से पहले पहुंचे थे मेरे पिता

उन्होंने आगे लिखा- ”स्वामिनारायण मंदिर के आतंकी हमले के दौरान मोदीजी के प्रांगण जाने से पहले मेरे पिता जी प्रथम व्यक्ति थे। मुझे साथ लिया गया था कि हम वास्तविकता और लोक संवाद का अनुभव करते हैं। बहुत कम लोगों को पता होगा कि टौटे और कोरा के महा संकट के समय रात 2-30 बजे तक जागकर पिताजी ने CM डेस्कबोर्ड और कॉल से सारा इंतजाम कर लिया। जन और जन सेवा ही उनका मंत्र है।”

राधिका रूपाणी ने आगे लिखा- ”कल मैंने एक न्यूज़ हेडलाइन पढ़ी- विजयभाई की सॉफ्ट बोली जाने वाली छवि उनके खिलाफ काम आई। उनसे एक सवाल पूछना है क्या राजनीतिज्ञों को संवेदनशीलता, शालीनता नहीं रखनी चाहिए? क्या यह एक आवश्यक गुणवत्ता नहीं है जिसे हमें एक नेता में चाहिए? मृदु बोली जाने वाली छवि एक ऐसा व्यक्तित्व है जिससे समाज के सभी स्तर के लोग आसानी से आकर मिल सकते हैं? जहां बदमाशी या अपराध की बात होती है, वहां उन्होंने सख्त कदम उठाया है। CM डेस्कबोर्ड से लेकर लैंड गार्बिंग एक्ट, लव जिहाद, GUJCOCA, शराबबंदी सबूत है लेकिन सारा दिन गंभीर और भारी चेहरे के साथ घूमना नेता की निशानी है?”

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