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कृषि कानूनों के खिलाफ सरकार का विरोध कर रहे राकेश टिकैत जिला पंचायत चुनाव में नहीं बचा सके अपना ‘गढ़’

Sanjiv Baliyan and rakesh tikait

नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों में प्रमुखता के साथ चर्चा में रहने भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत को शनिवार को एक तगड़ा झटका लगा है। बता दें कि शनिवार(3 जुलाई) को उत्तर प्रदेश जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए हुए चुनाव को लेकर मतदान हुआ और शाम तक इसके नतीजे भी सामने आ गए। इस चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन सबसे दमदार रहा। जहां 75 सीटों के लिए हुए इस चुनाव में भाजपा को 67 सीटें हासिल हुईं तो वहीं प्रमुख विरोधी दल समाजवादी पार्टी को सिर्फ 5 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। सबसे अहम बात ये कि किसान आंदोलन को लेकर सक्रिय रहने वाले राकेश टिकैत को इस चुनाव में निराशा हाथ लगी है। दरअसल मोदी सरकार की नीतियों का विरोध करने वाले टिकैत अपना ही गढ़ मुजफ्फरनगर नहीं बचा पाए। यहा भाजपा के उम्मीदवार को जीत मिली है।

बता दें कि किसान आंदोलन को देखते हुए यूपी जिला पंचायत चुनाव में सबकी निगाहें मुजफ्फरनगर पर थीं। जोकि राकेश टिकैत का गढ़ कहा जाता है। इस जगह में राकेश टिकैत भाजपा प्रत्याशी को जीतने से रोक नहीं पाए। बता दें कि इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार डॉ. वीरपाल निर्वाल ने जीत हासिल की है। वहीं उनका मुकाबला करने के लिए टिकैत की भारतीय किसान यूनियन ने केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के भाई सतेंद्र बालियान को अपना उम्मीदवार बनाया था। हालांकि संजीव बालियान ने अपने भाई का साथ ना देते हुए पार्टी का साथ दिया।

ऐसे में दिलचस्प ये भी रहा कि, टिकैत बंधुओं को पूरी उम्मीद थी कि अध्यक्ष पद के लिए हुए इस चुनाव में मुजफ्फरनगर सीट पर उनका कब्जा होगा,  लेकिन जब परिणाम की घोषणा होने के बाद पता चला कि भाकियू के उम्मीदवार को केवल 4 वोट मिले। जिला पंचायत सदस्य के लिए हुए चुनाव में हालत ऐसी रही कि भाजपा 43 सीटों में से सिर्फ 13 सीट ही जीत पाई थी। लेकिन अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी को 30 वोट मिले। इसमें 10 मुस्लिम वोटों का भी साथ मिला।

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