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Coronavirus: कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर जारी राजनीति पर डॉ हर्षवर्धन की दो टूक, राज्यों को काम करने पर ध्यान देने की जरूरत

Vaccination harshvardhan

नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से एक तरफ जहां राज्यों को पत्र लिखकर इस बात की जानकारी दी गई है कि अब 45 से ज्यादा उम्र के लोगों को कोरोना का टीका लगाने का कार्यक्रम 11 अप्रैल से उन सार्वजनिक और निजी संस्थानों में भी चलाया जाएगा। जहां 45 साल और उससे अधिक वर्ष की उम्र के लोगों की संख्या कार्यस्थलों पर करीब 100 होगी। यहां टीककाकरण केंद्र लगाए जाएंगे। इस सब के बीच देश में बढ़ते कोरोना के मामले को देखते हुए इस पर राजनीति भी तेज हो गई है। कई राजनीतिक दल के नेता इस बात की मांग कर रहे हैं कि 18 वर्ष से ज्यादा सभी उम्र के लोगों के लिए टीकाकरण की व्यवस्था को खोला जाए। साथ ही टीकाकरण के काम में तेजी लाई जाए। इसी को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने एक सख्त टिप्पणी भरा पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने जिक्र किया है कि कैसे राज्य सरकारों की गैर जिम्मेदाराना रवैये की वजह से राज्यों में तेजी से कोरोना का प्रसार बढ़ा है।

उन्होंने लिखा है कि हाल के दिनों में, कोविड -19 महामारी के संदर्भ में कुछ राज्य सरकार के पदाधिकारियों ने कई गैर जिम्मेदाराना बयान दिए हैं। चूंकि इन बयानों में जनता को गुमराह करने और खौफ फैलाने की ताकत है, इसलिए ऐसे बयानों से बचने की आवश्यक है। ऐसे समय में जब देश बढ़ती COVID-19 संक्रमण की एक नई लहर देख रहा है, मैं इस तथ्य को लेकर चिंतित हूं कि कई राज्य सरकारें इस प्रसार को रोकनेवाले उपाय करने में विफल रही हैं और उन प्रोटोकॉल को लागू करने में सक्षम नहीं रही हैं जो पिछले एक साल में इस महामारी से निपटने के लिए देश ने सीखा है।

डॉ हर्षवर्धन ने इसमें आगे कहा कि इससे संबंधित अधिकांश बयान राजनीतिक नेताओं के एक वर्ग द्वारा दिए जा रहे हैं, जो 18 वर्ष की आयु से ऊपर के सभी लोगों के लिए टीकाकरण खोलने या टीकाकरण की पात्रता के लिए न्यूनतम आयु मानदंडों को बहुत कम करने के लिए कह रहे हैं। भारत सरकार मांग-आपूर्ति की गतिशीलता और परिणामी टीकाकरण रणनीति के बारे में सभी राज्य सरकारों को अक्सर और पारदर्शी रूप से अपडेट करती रही है। वास्तव में, टीकाकरण की रणनीति सभी राज्य सरकारों के साथ साझेदारी में व्यापक विचार-विमर्श और परामर्श के बाद तैयार की गई है।

ऐसे में टीकाकरण का प्राथमिक उद्देश्य सबसे कमजोर और अधिक उम्र के लोगों के मृत्यु दर को कम करना है और समाज को महामारी को मात देने में सक्षम बनाना है। दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान भारत में हमारे स्वास्थ्य कर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कर्मियों के साथ शुरू किया गया था। एक बार जब यह एक निश्चित स्तर तक बढ़ गया, तो टीकाकरण को आगे की श्रेणियों तक खोल दिया गया और वर्तमान में 45 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों के लिए यह खुला है। इसके साथ यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि सरकारी चिकित्सा सुविधा केंद्रों पर यह टीकाकरण किसी के लिए भी पूरी तरह से मुफ्त है। ऐसे में जब तक टीकों की आपूर्ति सीमित रहती है, तब तक प्राथमिकता के अलावा कोई विकल्प नहीं है। यह भी दुनिया भर में स्थापित व्यवस्था है, और सभी राज्य सरकारों को भी यह अच्छी तरह से पता है।

लेकिन अब जब राज्य 18 से अधिक उम्र के सभी लोगों को वैक्सीन की आपूर्ति कराने के लिए कहते हैं, तो हमें यह मानना ​​होगा कि उन्होंने अपने यहां स्वास्थ्य कर्मियों, फ्रंटलाइन श्रमिकों और वरिष्ठ नागरिकों को पूरी तरह से टीकाकरण करा दिया होगा। लेकिन तथ्य बिल्कुल अलग हैं।

स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा कि महाराष्ट्र ने टीके की पहली खुराक के साथ केवल 86% स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का टीकाकरण किया है। दिल्ली और पंजाब के लिए यह संख्या 72% और 64% है। दूसरी ओर, 10 भारतीय राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों ने 90% से अधिक इसमें काम किया है। महाराष्ट्र ने टीके की दूसरी खुराक केवल 41% स्वास्थ्य कर्मचारियों को दिया है। दिल्ली और पंजाब के लिए यह संख्या 41% और 27% है। जबकि 12 भारतीय राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश हैं जिन्होंने 60% से अधिक काम किया है।

फ्रंटलाइन वर्कर्स की बात करें तो महाराष्ट्र ने टीके की पहली खुराक केवल 73% लोगों को दिया है। दिल्ली और पंजाब के लिए यह संख्या 71% और 65% है। 5 भारतीय राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश हैं जो पहले से ही इस पर 85% से अधिक काम कर चुके हैं। महाराष्ट्र के लिए टीकाकरण का दूसरा डोज फ्रंटलाइन कर्मचारियों को सिर्फ 41% दिया गया है। जबकि दिल्ली और पंजाब के लिए यह संख्या 22% और 20% है। 6 भारतीय राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश हैं जिन्होंने 45% से अधिक काम इसपर किया है।

स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा विशेष रूप से मैंने महाराष्ट्र में जनप्रतिनिधियों द्वारा टीकों की कमी के बारे में बयान देखे हैं। यह कुछ नहीं बल्कि महामारी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए महाराष्ट्र सरकार की बार-बार विफलताओं से ध्यान हटाने का प्रयास है। महाराष्ट्र सरकार की जिम्मेदारी निभाने में असमर्थता समझ से परे है। लोगों में दहशत फैलाने के लिए गलत दिशा में इसे फैलाना है। वैक्सीन आपूर्ति की पूरी निगरानी की जा रही है, और राज्य सरकारों को इसके बारे में नियमित रूप से अवगत कराया जा रहा है। टीके की कमी के आरोप पूरी तरह से निराधार हैं।

उन्होंने आगे कहा कि महाराष्ट्र सरकार को महामारी को नियंत्रित करने के लिए और भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है और केंद्र सरकार उनकी हर संभव मदद करेगी। लेकिन राजनीति करने और झूठ फैलाने के लिए अपनी सारी ऊर्जाओं को खत्म करने की बजाए इसके सही कार्यन्यवयन पर ध्यान देने की जरूरत है ऐसे ही महाराष्ट्र के लोगों का भला हो सकता है। इसी तरह, हमने छत्तीसगढ़ के नेताओं द्वारा नियमित टिप्पणियां देखी हैं जिनका उद्देश्य टीकाकरण पर गलत सूचना और आतंक फैलाना है। मैं विनम्रतापूर्वक कहना चाहूंगा कि अगर राज्य सरकार अपने स्वास्थ्य ढांचे को बेहतर करने के बजाय अपने काम पर जोर दें तो बेहतर होगा। छत्तीसगढ़ में पिछले 2-3 हफ्तों में असामयिक रूप से मौतों की संख्या अधिक हो गई है। इसके साथ ही स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कई अन्य राज्यों को भी अपने स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों को सही करने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, कर्नाटक, राजस्थान और गुजरात में परीक्षण की गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता है। पंजाब में अस्पताल में भर्ती होने वालों की शीघ्र पहचान करके उच्च मामले के जोखिण की पहचान कर मृत्यु दर में कमी लाने की आवश्यकता है। मास्क पहनना और सामाजिक दूरी का अनुपालन बड़ी संख्या में राज्यों द्वारा कराए जाने की आवश्यकता है।

हर्षवर्धन ने अपने गुस्से का इजहार करते हुए कहा कि मेरी चुप्पी को गलत नहीं माना जाना चाहिए। मैं अब बोलने के लिए विवश हूं क्योंकि इसपर राजनीति करना आसान है, लेकिन शासन और स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में सुधार ही हमारी असली परीक्षा है। मैं फिर से सभी राज्यों को जोर देकर कहना चाहूंगा कि केंद्र सरकार उनकी हरसंभव मदद के लिए कोशिश कर रही है। भारत के पास प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों और डॉक्टरों के साथ कड़ी मेहनत करने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का बड़ा समूह है। हम सभी को इस महामारी को हराने के लिए कड़ी मेहनत और एक साथ काम करने की आवश्यकता है।

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