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Schools Closed In Delhi: भयानक प्रदूषण के कारण दिल्ली के स्कूल अब 10 नवंबर तक रहेंगे बंद, छठी से 12वीं तक ऑनलाइन चलेंगी क्लास

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नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में पिछले कुछ दिनों से जबरदस्त प्रदूषण है। दिल्ली और एनसीआर में एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 से ऊपर यानी गंभीर बना हुआ है। बीती रात 1 बजे तो दिल्ली के अशोक विहार इलाके में एक्यूआई 999 तक चला गया था। इस प्रदूषण का सभी पर गहरा असर पड़ रहा है। खासकर बुजुर्गों और बच्चों के लिए दिल्ली का प्रदूषण काफी खतरनाक है। ऐसे में दिल्ली सरकार ने पहले स्कूलों को आज यानी 5 नवंबर तक बंद करने का फैसला किया था। अब इसे 10 नवंबर तक बढ़ा दिया गया है। दिल्ली में 10 नवंबर तक प्राइमरी स्कूल पूरी तरह बंद रहेंगे। जबकि, छठी से 12वीं तक की पढ़ाई ऑनलाइन कराई जाएगी। दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने एक्स पर पोस्ट कर ये जानकारी दी है।

दिल्ली में वायु प्रदूषण रोकने के लिए दिल्ली सरकार लगातार सड़कों पर पानी का छिड़काव करा रही है। धुएं और छोटे पार्टिकल लोगों की सांस के साथ फेफड़ों में दाखिल होने से बचाने के लिए राजधानी में स्मॉग गन का इस्तेमाल भी किया जा रहा है। इसके अलावा ग्रैप 3 के नियम लागू किए गए हैं। इसके नियमों के तहत बीएस-2 के पेट्रोल वाहन और बीएस-4 तक के डीजल वाहन दिल्ली में नहीं घुस सकेंगे। सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के जरिए लोगों को एक से दूसरी जगह जाने का आग्रह दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने पहले ही किया था। इसके अलावा दिल्ली में डीजल जेनरेटर चलाने पर रोक है। साथ ही राष्ट्रहित के लिए जरूरी निर्माण कार्य के अलावा अन्य ऐसे ही काम भी अगले आदेश तक बंद रखने के लिए कहा गया है। दिल्ली में इन कठोर नियमों के बाद भी हालात बहुत अच्छे नहीं हैं। ऐसे में सरकार ने सांस और दिल के मरीजों को बाहर न निकलने की सलाह भी दी है।

दिल्ली में हर साल इसी तरह बहुत प्रदूषण होता है। इसकी बड़ी वजह खेतों में पराली जलाया जाना है। खासकर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी यूपी में किसान पराली जलाकर अगली फसल के लिए खेत तैयार करते हैं। इस साल पश्चिमी यूपी और हरियाणा में कम पराली जली, लेकिन पंजाब में 9000 से ज्यादा पराली जलाने के मामले अब तक सामने आए हैं। पराली का यही धुआं पश्चिम से आने वाली हवाओं के साथ दिल्ली और एनसीआर तक पहुंचता है। इसी से दिल्ली और एनसीआर में इतनी धुंध छा जाती है कि दिन में सूरज की रोशनी तक जमीन पर नहीं पहुंचती। इस साल भी ऐसा ही हाल है।

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