नई दिल्ली। आज इस बात को लेकर देश और दुनिया में कोई संदेह नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश की विदेश नीति ने जो आक्रमक रवैया अपनाया है वह पहले के दशकों में नहीं देखा गया था। इसकी बानगी बुधवार को तब देखने को मिली जब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने शंघाई सहयोग संगठन की एक बैठक में बिना नाम लिए चीन और पाकिस्तान पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि समूह के सदस्यों को क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए और आस-पास के क्षेत्रों में एकतरफा सैन्य गतिविधियां नहीं करनी चाहिए। नई दिल्ली में एससीओ के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों की एक बैठक को संबोधित करते हुए, डोभाल ने क्षेत्रीय संपर्क की आवश्यकता पर जोर दिया, लेकिन यह भी कहा कि इस तरह की पहल परामर्शी और पारदर्शी होनी चाहिए और सभी देशों की संप्रभुता का सम्मान करने की बेहद जरूरत है। इससे दोनों देशों के बीच संबंध बेहतर बनाए जा सकते हैं।
आपको बता दें कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की यह टिप्पणी चीन और पाकिस्तान द्वारा सीमा पर दिए जा रहे टेंशन के बीच आई हैं। भारत से लगती सीमाओं पर चीन और पाकिस्तान कुछ-न-कुछ करता रहता है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति लगातार बनी रहती है। बैठक में रूस की सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पेत्रुशेव, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के वरिष्ठ अधिकारी और एससीओ के क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (आरएटीएस) के प्रतिनिधि शामिल हुए। चीन और पाकिस्तान के अधिकारियों ने भी वर्चुअली मीटिंग में पार्टिसिपेट किया।