नई दिल्ली। अपनी बयानबाजी को लेकर एक बार पहले भी मुश्किल में घिर चुके राहुल गांधी को चुनाव आयोग ने भविष्य में अपने भाषणों को लेकर सतर्कता बरतने को कहा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को चुनाव आयोग की ओर से एक एडवाइजरी जारी की गई है। राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अक्सर पनौती और जेबकतरा जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं जिसको लेकर चुनाव आयोग ने राहुल को भविष्य में संभलकर बयानबाजी करने को कहा है।
Election Commission of India (ECI) issues an advisory to Congress MP Rahul Gandhi. After considering all facts in the matter related to certain remarks against Prime Minister, including Delhi High Court order and his reply, the Election Commission of India has advised him to be…
— ANI (@ANI) March 6, 2024
आपको बता दें राहुल गांधी ने पिछले साल नवंबर महीने में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था- पीएम का मतलब है, ‘पनौती मोदी’। उन्होंने अहमदाबाद में खेले गए क्रिकेट विश्व कप के फाइनल मैच का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे लड़के अच्छा खासा वर्ल्ड कप जीत रहे थे। लेकिन, मोदी ने वहां पहुंचकर उन्हें हरवा दिया। इस बयान के बाद चुनाव आयोग ने इसे आचार संहिता के उल्लंघन मानते हुए उनसे जवाब मांगा था। वहीं, दिल्ली हाईकोर्ट ने भी दिसंबर 2023 में चुनाव आयोग को नोटिस देकर कार्रवाई के बारे में पूछा था। राहुल को दी गई सलाह, उसी निर्देश के बाद आई है।
इससे पहले 2019 लोकसभा चुनाव के पूर्व कर्नाटक के कोलार में एक रैली के दौरान राहुल गांधी ने कहा था, ‘चोरों का सरनेम मोदी है। सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है, चाहे वह ललित मोदी हो या नीरव मोदी हो चाहे नरेंद्र मोदी।’इसके बाद सूरत पश्चिम के बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल के खिलाफ मानहानि का केस किया था। उनका कहना था कि राहुल गांधी ने हमारे पूरे समाज को चोर कहा है और यह हमारे समाज की मानहानि है। इसी मामले में राहुल गांधी को सूरत कोर्ट ने दोषी करार दिया था। कोर्ट ने उन्हें 2 साल की सजा और 15 हजार का जुर्माना भी लगाया था। इस सज़ा के बाद राहुल गांधी की सांसदी भी चली गई थी। इसके कुछ देर बाद उसी कोर्ट ने उन्हें 30 दिन के लिए जमानत भी दे दी। इसके बाद राहुल ने सजा के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट में अपील की लेकिन वहां से उन्हें कोई राहत नहीं मिली थी। इसके बाद राहुल ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया जहां से उनकी सजा पर रोक लगी और उनकी संसद सदस्यता बहाल हुई।