बेंगलुरु। इसरो के वैज्ञानिक आज फिर इतिहास रचने जा रहे हैं। इसरो के वैज्ञानिक ये इतिहास आज शाम 4 बजे के करीब लिखने वाले हैं। इस इतिहास की वजह बनने जा रहा है इसरो का आदित्य एल1 यान। इस यान को आज इसरो के वैज्ञानिक धरती और सूरज के बीच लैंग्रेंज प्वॉइंट 1 पर पहुंचाएंगे। धरती और सूर्य के बीच ऐसे 5 लैंग्रेंज प्वॉइंट हैं। जिस लैंग्रेंज 1 प्वॉइंट पर इसरो के वैज्ञानिक आदित्य एल1 यान को आज पहुंचाने जा रहे हैं, वो धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर है। लैंग्रेंज प्वॉइंट 1 को एल1 भी कहा जाता है। इस जगह पर धरती और सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल मिलते हैं। इस वजह से कोई भी चीज वहां लंबे समय तक टिकी रह सकती है। लैंग्रेंज प्वॉइंट से आदित्य एल1 यान लगातार सूरज पर नजर रख सकेगा।
इसरो के वैज्ञानिकों ने 2 सितंबर 2023 को पीएसएलवी रॉकेट के जरिए आदित्य एल1 यान को भेजा था। इसकी कक्षा में लगातार बदलाव कर आदित्य एल1 यान को लैंग्रेंज प्वॉइंट 1 की तरफ इसरो के वैज्ञानिकों ने सफलता से भेज दिया था। अब ये यान लगातार अंतरिक्ष में सफर करता हुआ लैंग्रेंज प्वॉइंट 1 के पास पहुंच गया है। लैंग्रेंज प्वॉइंट 1 से आदित्य एल1 यान अगले 5 साल तक सूर्य पर नजर रखेगा। सूरज पर नजर रखते हुए ये यान अपने यंत्रों के जरिए कई तरह के शोध करता रहेगा। आदित्य एल1 पर 7 यंत्र लगे हैं। सूर्य के क्रोमोस्फियर, फोटोस्फियर और कोरोना की गतिशीलता, कोरोनल मास इजेक्शन यानी सूर्य में कंपन, सीएमई की गतिशीलता देखने वाला यंत्र, सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलिस्कोप, सोलर विंड पार्टिकल, प्लाज्मा एनालाइजर, हाई एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर, मैग्नोमीटर वगैरा से आदित्य एल1 यान लगातार सूरज का अध्ययन करता रहेगा।
आदित्य एल1 को लैंग्रेंज प्वॉइंट पर सफलता से पहुंचाने वाले देशों में भारत भी शामिल होने जा रहा है। लैंग्रेंज प्वॉइंट 1 तक कुछ ही देश अपने यान को सफलता से भेज सके हैं। इस लैंग्रेंज प्वॉइंट पर यान के पहुंच जाने से बिना धरती की छाया में आए लगातार सूरज पर निगाह रखी जा सकेगी। सोलर स्टॉर्म या सूर्य की सतह और भीतर होने वाले परिवर्तनों के बारे में जाना जा सकेगा। बता दें कि सोलर स्टॉर्म से धरती पर बिजली के ग्रिड और उपग्रहों के अलावा संचार वगैरा को नुकसान होने का खतरा बना रहता है।