नई दिल्ली। एक बार फिर कोविड यानी कोरोना वायरस की चर्चा तेज हो गई है। वजह है इसका नया रूप। कोरोना के वायरस ने नया रूप लिया है। कोरोना यानी कोविड वायरस के इस नए वैरिएंट का नाम जेएन.1 (JN.1) दिया गया है। कोरोना के जेएन.1 वैरिएंट की पहचान अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, लक्जेमबर्ग और आइसलैंड में की गई है। कोरोना के जेएन.1 वैरिएंट के बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि ये बेहद संक्रामक है और सभी कोविड वैक्सीन को भी चकमा देकर बहुत बीमार कर सकता है। जेएन.1 वैरिएंट से पहले भी कोरोना के तमाम वैरिएंट सामने आ चुके हैं। इनमें से कोरोना के डेल्टा वैरिएंट ने दुनियाभर में हाहाकार मचा दिया था। वैज्ञानिकों के मुताबिक जेएन.1 वैरिएंट कोरोना के एक्सबीबी.1.5 और एचवी.1 वैरिएंट से काफी अलग है। वैज्ञानिकों का कहना है कि एक्सबीबी.1.5 और एचवी.1 कोरोना वैरिएंट में 41 बदलाव हुए हैं। ये सारे बदलाव स्पाइक प्रोटीन में देखे गए हैं।
कोरोना वायरस पर लगातार नजर रखने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि जेएन.1 कोरोना वायरस के वैरिएंट को अब तक तैयार की गई सभी कोविड वैक्सीन से भी रोका जाना संभव नहीं है। न्यूयॉर्क के बफेलो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक थॉमस रूसो ने बताया है कि वैक्सीन के कारण कोरोना वायरस के प्रति शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बनी है, लेकिन जेएन.1 वैरिएंट इस प्रतिरोधक क्षमता को चकमा दे देता है। 40 से ज्यादा बदलाव स्पाइक प्रोटीन में होने के कारण ऐसा होता है। दरअसल, किसी भी वैक्सीन से वायरस के स्पाइक प्रोटीन को पहचानकर उसके खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बनाई जाती है। जब स्पाइक प्रोटीन में ही काफी बदलाव हो जाते हैं, तो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता वायरस को पहचान नहीं पाती और इससे व्यक्ति बीमार पड़ जाता है।
साल 2019 में कोरोना यानी कोविड वायरस का पहला मरीज चीन के वुहान में मिला था। इसके बाद लगातार लोगों को वायरस अपनी चपेट में लेता रहा। कोरोना का वायरस तेजी से भारत समेत दुनिया के सभी देशों में पहुंच गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़े बताते हैं कि दुनियाभर में कोरोना यानी कोविड के कारण 77 करोड़ लोग बीमार हुए। इनमें से 69 लाख लोगों ने जान गंवाई है। अमेरिका में ही 10 करोड़ लोग कोरोना की चपेट में आए थे और 11 लाख की मौत हुई थी। चीन मे 9 करोड़ बीमार और 1.25 लाख लोग मारे गए। वहीं, भारत में 4.5 करोड़ लोग कोरोना से बीमार पड़े और करीब 5 लाख ने जान गंवाई थी।