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Threat: राकेश टिकैत ने इस बार दी धमकी, घर पहुंचकर बोले- तैयार रहें किसान; अब होगी जंग

Rakesh Tikait

मुजफ्फरनगर। किसानों के खैरख्वाह बनकर घूम रहे भारतीय किसान यूनियन BKU के नेता राकेश टिकैत अमूमन अपने बिगड़े बोल की वजह से चर्चा में रहते हैं। इस बार फिर उनके बोल बिगड़ गए। बोल बिगड़ ही नहीं गए, राकेश टिकैत ने इस बार धमकी भरे अंदाज में बात की है। पंजाब से टिकैत ने बुधवार को यूपी के मुजफ्फरनगर जिले के सिसौली कस्बे स्थित अपने घर का रुख किया। देर रात वो घर पहुंचे। घर के बाहर मजमा लगा था। इस मजमे को देखकर राकेश टिकैत ने माइक थाम लिया। टिकैत ने मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए उत्तेजित मुद्रा अपना ली। इसके साथ ही भाषण देना शुरू किया। इस भाषण के दौरान ही टिकैत ने धमकी देते हुए कहा, “किसान अपनी जमीन और जमीन नहीं बिकने देंगे। एक साल की हमारी ट्रेनिंग हुई है। आने वाले समय में जंग होगी। कल के लिए तैयार रहना है।”

कुछ ऐसी ही धमकी राकेश टिकैत ने किसान आंदोलन शुरू होने के वक्त पिछले साल दी थी। तब उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार के लिए कहा था कि बक्कल तार देंगे। उन्होंने एक बार ये धमकी भी दी थी कि लाखों किसानों के साथ वो लखनऊ को घेरेंगे, लेकिन सीएम योगी के बयान कि कोई तत्व अगर गुंडागर्दी करेगा, तो उससे वैसे ही निपटेंगे के बाद टिकैत किसानों को लेकर लखनऊ तो आए थे, लेकिन महापंचायत कर शाम को ही लौट गए थे। टिकैत इससे पहले भी कई बार मोदी सरकार को धमकी भरे अंदाज में ये भी कह चुके हैं कि किसी भी सूरत में किसान टस से मस नहीं होगा। किसान आंदोलन खत्म होने से कुछ दिन पहले टिकैत का बयान आया था कि अगर सरकार नहीं मानी, तो ट्रैक्टर फिर तैयार हैं। बता दें कि इस साल 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च के दौरान दिल्ली में जमकर हिंसा हुई थी।

टिकैत के इस तरह के बयानों से किसान आंदोलन चला रहे संयुक्त किसान मोर्चा SKM के नेताओं में नाराजगी भी थी। एसकेएम के नेता दर्शनपाल सिंह ने टिकैत का बाकायदा नाम लेते हुए कहा था कि उनको सोच-समझकर बोलना चाहिए। वहीं, मोर्चा के एक अन्य नेता योगेंद्र यादव ने नाम न लेते हुए टिकैत को नसीहत दी थी कि अगर किसी को सियासत करनी हो, तो वो एसकेएम का सहारा कतई न ले। बुधवार को ही टिकैत के ऐसे बैनर सामने आए थे, जिनमें उनके साथ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी के भी फोटो थे। इससे साफ हो गया था कि टिकैत के सिर पर सियासी दलों का हाथ है।

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