नई दिल्ली। किसान आंदोलन इधर कुछ ठंडा पड़ा है, लेकिन रविवार यानी 10 मार्च को इसके फिर तेज होने के आसार हैं। किसान नेताओं ने रविवार को रेल रोको का आह्वान किया है। इसके तहत दोपहर से शाम तक जगह-जगह किसान ट्रेनों को रोकेंगे। हरियाणा पुलिस ने किसानों से आग्रह किया है कि वे रेल रोको आंदोलन न करें। हालांकि, किसान नेताओं की तरफ से हरियाणा पुलिस के आग्रह पर अभी कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं आई है। कुछ दिन पहले भी किसानों ने पंजाब में कई जगह रेल रोको आंदोलन किया था।
किसान नेता पिछले काफी दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। किसानों के जत्थों के साथ वे हरियाणा की सीमा पर डटे हैं। किसान नेता अपनी मांगों के लिए दिल्ली आकर प्रदर्शन करना चाहते हैं, लेकिन हरियाणा की सरकार ने उनको आगे न बढ़ने देने का फैसला किया है। नतीजे में पंजाब और हरियाणा की सीमा पर बैरिकेडिंग के साथ बड़े पैमाने पर पुलिस की तैनाती की गई है। हरियाणा सरकार के इस कदम के खिलाफ एक याचिका पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में दाखिल हुई थी। तब हरियाणा सरकार ने कहा था कि पिछली बार किसान आंदोलन के दौरान दिल्ली में जमकर उत्पात हुआ था और इसकी दोबारा आशंका है। इसी वजह से किसानों को उसने पंजाब की सीमा पर रोका हुआ है। किसानों को रोकने के लिए हरियाणा पुलिस ने कई बार आंसू गैस के गोले दागे। इसे लेकर सियासत भी गरमा चुकी है।
किसान नेता अपनी कई मांगों के समर्थन में आंदोलन कर रहे हैं। उनकी सबसे बड़ी मांग है कि फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की गारंटी दी जाए। इसके अलावा किसानों की मांग है कि भारत डब्ल्यूटीओ समझौते से बाहर निकले। किसान नेताओं ने पिछले आंदोलन के दौरान दर्ज हुए केस वापस लेने की मांग भी रखी है। इसके अलावा 58 साल से ज्यादा उम्र के किसानों को हर महीने 10000 रुपए पेंशन और मनरेगा के तहत 210 दिन की जॉब गारंटी के अलावा हर रोज 700 रुपए देने की मांग भी किसान नेताओं की है। केंद्र सरकार के मंत्रियों से किसान नेताओं की 5 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकला है। केंद्र की तरफ से कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा हालांकि बार-बार कह चुके हैं कि बातचीत ही हल निकालने का एकमात्र रास्ता है। उन्होंने हिंसा और उपद्रव का रास्ता अख्तियार न करने की अपील भी किसान नेताओं से की थी।