News Room Post

Farmer Protest: अगर सरकार ने लिया ये फैसला, आज ही हो सकता है किसान आंदोलन का The End!

Rakesh tikket

नई दिल्ली। शायद आपको याद हो कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंदोलनकारी किसानों को संबोधित कर तीनों कृषि कानूनों को वापस करने का ऐलान किया था, तो उस वक्त उन्होंने किसानों से अपने-अपने घर जाने की भी गुजारिश की थी। बहरहाल, आंदोलनकारी किसानों ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के सरकार के फैसले का स्वागत तो किया, लेकिन घर जाने की बात से साफ इनकार कर दिया। किसानों ने दो टूक कह दिया कि वे अभी घर की राह नहीं पकड़ेंगे, बल्कि नई मांगों के साथ अपने आंदोलन को धार देंगे। किसानों की रहनुमाई कर रहे राकेश टिकैत ने भी साफ कर दिया था कि तीनों कृषि कानून वापस लेने का मतलब यह नहीं हुआ कि हमारी सारी समस्याओं का निदान हो चुका है। किसान नेताओं ने सरकार से मांग की कि तीनों कृषि कानून के  वापस लिए जाने के बाद एमएसपी पर कानून बनाया जाए। आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। इसके अलावा लखीमपुर हिंसा में मारे गए किसानों को परिजनों को आर्थिक सहायता समेत दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने की दिशा में कदम उठाए जाए, तभी किसानों द्वारा घर जाने की संभावनाएं जन्म लेंगी।

वहीं, पहले माना जा रहा था कि अब सरकार किसानों की किसी भी मांग के आगे झुकने को कतई तैयार नहीं है, लेकिन विगत मंगलवार से ऐसी सुगबुगाहटें तेज हो गईं है कि सरकार किसानों की सभी मांगों के आगे नतमस्तक हो सकती है और अगर ऐसा हुआ तो किसान आंदोलन से अपने कदम पीछे खींचने पर विचार कर सकते हैं। इस संदर्भ में कई किसानों और सरकार के नुमाइंदों के बीच बैठक हई थी और ऐसी खबरें भी आनी शुरू हो गई थी कि किसान आंदोलन को विराम दे सकते हैं, लेकिन इसे लेकर पुख्ता तौर पर कुछ भी कहना अतिश्योक्ति या अतिशीघ्रता हो सकती है। लिहाजा आज यानी की बुधवार फिर से किसानों और सरकार के प्रतिनिधियों के बीच बैठक का सिलसिला शुरू हो चुका है।

माना जा रहा है कि सरकार की तरफ से किसानों की सारी मांगों पर विचार किया जा सकता है। एमएसपी समेत आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों को आर्थिक सहायता समेत सभी मांगों पर सरकार की तरफ से विचार किया जा सकता है। अभी इसे लेकर दोनों ही पक्षकारों के बीच बैठक का सिलसिला जारी है। खबरों की माने तो किसानों की तरफ से लखीमपुर हिंसा में आरोपित केंद्रीय मंत्री के बर्खास्तगी की मांग भी उठाई जा रही है। बीते मंगलवार को भी लखीमपुर हिंसा को लेकर चर्चा हुई थी, लेकिन किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता था, जिसकी वजह से दोनों ही पक्षों के बीच पेंच फंस चुका था। अब ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार किसानों की सभी मांगों पर विचार सकती है।

यकीनन, अगर ऐसा हुआ तो किसानों की तरफ से आंदोलन को विराम देने पर कोई संकोच नहीं होगा। वहीं, सियासी प्रेक्षकों की माने तो ये पूरा मसला अब सियासी लिबास में लिपटता जा रहा है। विपक्षी दलों का कहना है कि अब सरकार किसानों के आगे नरम रूख अख्तियार कर रही है, क्योंकि उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं और बीजेपी किसी भी राज्य में खुद को पराजीत होते हुए नहीं देखना चाह रही है और इस आंदोलन की वजह से उत्तर प्रदेश समेत पंजाब के किसान बीजेपी से खफा चल रहे हैं, जिसे ध्यान में रखते हुए पार्टी ने चुनाव से पहले ये बड़ा दांव चल दिया है। अब ऐसे में देखना होगा कि पार्टी की तरफ से चला गया ये दांव कितना कामयाब हो पाता है।

Exit mobile version