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VIRAL VIDEO: ‘मोदी तुम्हारा नेता नहीं तो पतली गली से निकल लो’… रोहित सरदाना ने ऐसा क्यों कहा?

Rohit Sardana

नई दिल्ली। कई दौर की वार्ता के बाद भी किसान आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा। उलटा अब आरोप लगना शुरु हो गया है कि खालिस्तानी अलगाववादियों और दिल्ली दंगों के आरोपियों को इंसाफ दिलाने के लिए इस मंच का गलत इस्तेमाल होने लगा है। सरकार ने किसानों को इन गैर-कानूनी तत्वों से बचने के लिए आगाह भी किया है। ऐसे में सोशल मीडिया पर एंकर रोहित सरदाना का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें ‘किसान आंदोलन में खालिस्तानियों की घुसपैठ’ पर सवाल किया गया और बदले में सरदाना ने करारा जवाब दिया।

वीडियो में रोहित सरदाना एक दर्शक का सवाल पढ़ते हैं, जिसमें शौकत अली नाम के शख्स ने सवाल किया, “यदि आपके नज़र में किसान खालिस्तानी हैं, तो आपने नेता नरेंद्र मोदी इनको जेल में क्यों नहीं डालता?”

‘भड़काऊ’ सवाल पर सरदाना का दो टूक जवाब

इसपर रोहित सरदाना ने पहले तो उस शख्स को समझाया कि ‘मोदी आपके भी नेता है’। साथ ही तल्ख अंदाज़ में कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, ‘पहली बात तो शौकत अली, मोदी आपका भी नेता है। अगर नहीं है तो पतली गली से निकल लो उधर, बगल में।’

‘दूसरा मैंने तो कभी नहीं कहा कि किसान खालिस्तानी है लेकिन अगर कोई किसान आंदोलन की आड़ लेकर खालिस्तान का झंडा फहरा रहा है तो उसे पकड़ेंगे नहीं। या जैसे कि तुम्हें शाहीन बाग में देश विरोधी नारे लगाने की छूट दी थी, इधर भी दें दे?’, रोहित ने साफ शब्दों में कहकर फटकार लगाई।

रोहित सरदाना से पूछा गया कि, ‘गोदी मीडिया’ क्या है, उन्होंने दिया ये मजेदार जवाब

पिछले कुछ सालों से पत्रकारिता जगत में ‘फेक न्यूज़’ और ‘गोदी मीडिया’ जैसे शब्दों पर काफी चर्चा और बवाल हो रहा है। बल्कि मीडिया आज दो खेमे में बंट गया है… एक खेमा अपने आप को आदर्शवादी पत्रकार बताता है तो दूसरे को गोदी मीडिया। बल्कि नेताओं से लेकर आम जनता भी गोदी मीडिया का इस्तेमाल कर रही है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर ये गोदी मीडिया है कौन?  देश के प्रतिष्ठित पत्रकार रोहित सरदाना ने आज अपने दर्शकों से बातचीत में इससे अच्छे से परिभाषित किया।

आजतक के न्यूज एंकर रोहित सरदाना ने गोदी मीडिया को अच्छे से परिभाषित किया है। रोहित सरदाना ने कहा कि आप किसी भी कॉलेज या मुहल्ले में पढ़ते होंगे, आस-पास में रहते होंगे। कुछ बदमाश टाइप के लड़के होते होंगे, हर समय चौराहे पर बैठे रहते है और हमेशा ही उनकी नजर वह आस-पास रहने वाली गली मुहल्ले की लड़कियों पर नजर रहती है। उन गुड़ों को जो लड़कियां पंसद आ जाती है वो ये कह देते है कि सबकी भाभियां जिसका सब सम्मान करो, और वो मना कर दें तो कि मुझे तुम्हारी दोस्ती पंसद नहीं है। तो वो उसे अवारा बदचलन घोषित कर देते है। तो वो उसके खिलाफ दीवारों में जगह-जगह लिख देते है। तो इस समय की स्थिति यही है। जिन राजनीतिक पार्टियों को गोद में हम नहीं बैठे है तो वो दीवारों में जा जाकर लिखेंगे गोदी मीडिया। उनका कहना है कि हमारी गोद में बैठ जाओं वरना हम तुम्हें बदनाम कर देंगे कि तुम बदचलन हो। तो basically इनका दर्द यही है जो चौराहे पर बैठे मनचले और अवारा गुड़ों का होता है। ये है गोदी मीडिया की सच्चाई।

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