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Farmers Protest: जब किसान आंदोलन की धीमी हुई थी रफ्तार, तो राकेश टिकैत के आंसुओं ने कुछ इस तरह से दी थी धार!

rakesh tikait

नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को आज 180 दिन(6 महीने) हो गए हैं। ऐसे में संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से काला दिवस मनाया जा रहा है। इस मोर्चा ने देशवासियों से समर्थन करने की अपील की है। साथ ही कहा है कि लोग आज के दिन को काला दिवस के रूप में मनाएं और पीएम मोदी का पुतला जलाएं। विरोध कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी अपील में कहा है कि, लोग अपने घरों और वाहनों पर काला झंडा लगाएं और मोदी सरकार के पुतले जलाएं। वहीं किसान आंदोलन कोरोना महामारी के चलते भले ही सुर्खियों से गायब हो लेकिन 26 नवंबर को शुरू हुए इस आंदोलन को लेकर इसी साल जनवरी में एक समय ऐसा आया था जब लग रहा था कि, ये आंदोलन अब खत्म हो जाएगा। दरअसल 26 जनवरी को दिल्ली के लाल किले पर जिस तरह का उपद्रव हुआ, उसके बाद किसानों के इस आंदोलन पर सवाल खड़े होने लगे। उपद्रव के बाद दिल्ली पुलिस ने 59 मामले दर्ज, 158 किसान गिरफ्तार किए गए।

वहीं लाल किले की हिंसा के बाद आंदोलन की रफ्तार भी धीमी हो गई। माना जाने लगा कि, अब आंदोलन दम तोड़ देगा। इस आंदोलन में शामिल में कई किसान संगठनों ने लाल किले की हिंसा का विरोध कर खुद को इस विरोध प्रदर्शन से अलग कर अपना आंदोलन समाप्त कर दिया। लेकिन इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से लगातार विरोध जारी रहा।

हालांकि जनवरी की 27 तारीख तक भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख और राकेश टिकैट के भाई नरेश टिकैत ने भी आंदोलन को समाप्त करने का मन बना लिया था। लेकिन 28 जनवरी की शाम राकेश टिकैत के आंसुओं ने पूरा मौसम ही बदल दिया। इस घटना के बाद से राकेश टिकैत के आंदोलन को जबरदस्त समर्थन मिला। आलम ये रहा कि, बड़ी संख्या में राकेश टिकैत के समर्थन में लोग गाजीपुर बॉर्डर पहुंचने लगे और पांच किलोमीटर तक तंबू लगा दिए गए।

दरअसल 28 जनवरी तक गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन को हटाने के लिए यूपी पुलिस की तरफ से तैयारियां तेज हो गई थीं। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने भी राज्य के सभी डीएम और एसएसपी को सभी आंदोलनों को खत्म करने का निर्देश दिया था। इस बीच आंदोलन खत्म होता देख राकेश टिकैत ने मीडिया के सामने फफक-फफक कर रोने लगे। उनकी आंखों से निकलते आंसुओं ने पूरा माहौल बदल दिया।

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