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Nirmala Sitharaman Present Record Budget: निर्मला सीतारमण के नाम होने जा रहा लगातार सबसे ज्यादा बजट पेश करने का रिकॉर्ड, जानिए इससे पहले और किन वित्त मंत्रियों ने पेश किए कई बजट

Nirmala Sitharaman Present Record Budget: निर्मला सीतारमण को एक बार फिर पीएम नरेंद्र मोदी ने वित्त मंत्रालय सौंपा है। फरवरी में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के अंत में अंतरिम बजट पेश किया था। अब वो 2024-25 के लिए पूर्ण बजट दे रही हैं।

Nirmala Sitharaman

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज रिकॉर्ड बनाने जा रही हैं। निर्मला सीतारमण सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने वाली भारत की पहली वित्त मंत्री होंगी। इससे पहले ये रिकॉर्ड पूर्व पीएम मोरारजी देसाई के नाम रहा है। निर्मला सीतारमण को एक बार फिर पीएम नरेंद्र मोदी ने वित्त मंत्रालय सौंपा है। फरवरी में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के अंत में अंतरिम बजट पेश किया था। अब वो 2024-25 के लिए पूर्ण बजट दे रही हैं। इस लिंक पर क्लिक कर आप वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट भाषण सुन सकते हैं।

बतौर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 7वां पूर्ण बजट पेश कर रही हैं। इससे पहले मोरारजी देसाई ने 1 अंतरिम समेत 6 बजट लगातार पेश किए थे। मोरारजी देसाई ने जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी की सरकारों के दौर में कुल 10 बजट पेश किए थे। निर्मला सीतारमण ने 2023 में छठी बार बजट पेश कर मोरारजी देसाई के रिकॉर्ड की बराबरी की थी। अब उनके पास 1 अंतरिम समेत 8 बजट पेश करने का रिकॉर्ड होगा। अन्य वित्त मंत्रियों के बारे में बात करें, तो प्रणब मुखर्जी ने वित्त मंत्री के तौर पर 9 बजट दिए थे। यशवंत राव चव्हाण, सीडी देशमुख और यशवंत सिन्हा ने 7 बजट तो पेश किए, लेकिन लगातार नहीं। वहीं, अलग-अलग साल मे मनमोहन सिंह और टीटी कृष्णामाचारी ने 6-6 बजट पेश किए थे।

इससे पहले मोरारजी देसाई ने 1 अंतरिम और 6 पूर्ण बजट लगातार पेश किए थे।

निर्मला सीतारमण को बजट बनाने में वित्त मंत्रालय की बड़ी टीम मदद करती है। इस टीम में वित्त सचिव, राजस्व सचिव, खर्चे देखने वाले सचिव के अलावा और भी अधिकारी होते हैं। बजट की छपाई वित्त मंत्रालय के ही प्रेस में होती है। बजट पेश करने तक इसे गुप्त रखा जाता है। पेश करने से पहले अगर बजट लीक हो जाए, तो सरकार को इस्तीफा देना पड़ता है। बजट को लोकसभा से पास कराना जरूरी होता है। लोकसभा से पास हुए बजट पर चर्चा के बाद इसे राज्यसभा में भी चर्चा के बाद मंजूरी दी जाती है। हर साल 1 अप्रैल से नया वित्तीय वर्ष शुरू होने पर बजट के प्रावधान लागू होते हैं।

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