नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को लोकसभा में 2024-25 का बजट पेश करने वाली हैं। निर्मला सीतारमण अपना 7वां और मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट लोकसभा में पेश करेंगी। आज हम आपको बजट शब्द की उत्पत्ति के साथ ही इसमें इसमें इस्तेमाल होने वाले खास शब्दों के बारे में बताने जा रहे हैं। तो सबसे पहले आपको बताते हैं कि बजट शब्द आखिर कहां से आया? बजट शब्द फ्रेंच भाषा के ‘बोजे’ Bougette से आया है। इसका मतलब छोटा झोला होता है। लैटिन में इसे बुल्गा यानी चमड़े का बैग कहा जाता है। पुराने जमाने में कारोबारी चमड़े के थैले में सारे दस्तावेज रखते थे, उसी कारण अब दुनियाभर की सरकारें अपने हिसाब-किताब को बजट कहती हैं।
डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स
नागरिकों से सीधे लिए जाने वाले कर को डायरेक्ट टैक्स कहते हैं। ये नागरिकों के सालाना आय पर लिया जाता है। डायरेक्ट टैक्स के तहत इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स और वेल्थ टैक्स आते हैं। वहीं, सेवा पर लगने वाला सर्विस टैक्स, एक्साइज, कस्टम ड्यूटी, जीएसटी वगैरा इनडायरेक्ट टैक्स की श्रेणी में आते हैं।
फिस्कल डेफिसिट यानी राजकोषीय घाटा
वित्त मंत्री अपने बजट भाषण में फिस्कल डेफिसिट की जानकारी संसद को देते हैं। फिस्कल डेफिसिट यानी आय और व्यय में अंतर। फिस्कल डेफिसिट से ही पता चलता है कि सरकार की आमदनी कितनी हो रही है और वो कितना खर्च कर रही है। अगर इसमें ज्यादा अंतर हो, तो ये देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं माना जाता। माना जा रहा है कि मोदी सरकार वित्तीय वर्ष 2024-25 में फिस्कल डेफिसिट को जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद के 6.3 से 6.5 रख सकती है।
करेंट अकाउंट डेफिसिट यानी चालू खाता घाटा
जब कोई देश सेवा, वस्तुओं वगैरा का निर्यात कम और आयात ज्यादा करता है, तब करेंट अकाउंट डेफिसिट यानी चालू खाता घाटा हो जाता है। यानी भारत से निर्यात की गई चीजों से मिलने वाली रकम और आयात से बाहर गई रकम के बीच अंतर को चालू खाता घाटा कहा जाता है। इससे पता चलता है कि मौजूदा सरकार के दौर में देश निर्यात पर जोर दे रहा है या आयात पर उसका फोकस है।
फाइनेंशियल ईयर यानी वित्तीय वर्ष
किसी एक वर्ष की अवधि में सरकार जो आय और व्यय करती है, उसे ही फाइनेंशियल ईयर यानी वित्तीय वर्ष कहते हैं। भारत में हर साल 1 अप्रैल से नया वित्तीय वर्ष शुरू होता है। ये वित्तीय वर्ष अगले साल 31 मार्च को खत्म होता है। इसी दौरान आमदनी और खर्च करने के बारे में सरकार जो हिसाब-किताब तय करती है, उसे बजट कहा जाता है।