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सराहनीय कदम: अब इस राज्य के स्कूल में बच्चों को पढ़ाई जाएगी गीता

नई दिल्ली  बड़े ही अफसोस की बात है कि आज की पीढ़ी आधुनिकता के सैलाब में इस कदर सराबोर हो चुकी है कि प्राचीन ज्ञान से अनिभिज्ञ है। इन्हें सोशल मीडिया पर उलजुलूज के वीडियोज और वीडियो गेम से फुर्सत मिले तो थोड़ा वक्त अपने प्राचीनतम ज्ञान को प्रगाढ़ करने के लिए भी निकाल पाए। उधर, अगर स्कूली शिक्षा की बात करें, तो परिस्थितिजन्य उस शिक्षा की भी बंटाधार ही हो चुका और रही सही कसर कोरोना ने पूरी कर दी है। अब ऐसे में सवाल है कि आखिर कैसे हम अपनी आच की पीढ़ी को प्रचीनतम शिक्षा से जोड़ सकें। तो इस दिशा में फिलहाल तो अब तक किसी की भी तरफ से कोई कोशिश नहीं की गई थी, लेकिन वर्तमान में गुजरात सरकार की तरफ से जिस तरह की कोशिश की गई है, उसकी चौतरफा प्रशंसा हो रही है।

दरअसल, गुजरात  सरकार ने अपने प्रदेश के सभी स्कूलों में कक्षा 6वीं से लेकर 12वीं के तक छात्रों को गीता का अध्ययन कराना अनिवार्य कर दिया है। अब तक जिस तरह छात्र अन्य विषयों को अनिवार्य रूप से पढ़ते आ रहे थे, उसी तरह से उन्हें अब गीता का अध्ययन भी कराया जाएगा, ताकि उन्हें अपने प्राचीन ज्ञान से जोड़ा जा सकें। बता दें कि नई शिक्षा के नीति के तहत यह फैसला लिया गया है। ध्यान रहे कि नई शिक्षा के तहत यह भी प्रावधान किया गया है कि छात्रों को उनकी प्राचीन पद्धति से जोड़ा जा सकें। ध्यान रहे कि गुजरात में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। लिहाजा प्रदेश सरकार के उक्त कदम को अब सियासी गलियारों में चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है। वहीं, बीते दिनों खुद पीएम मोदी अहमदाबाद दौरे पर गए थे, जहां उन्होंने कई लोगों से मुखातिब होने  के क्रम में कई मुद्दों पर प्रकाश डालने का काम किया था।

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