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S Jaishankar : ‘कहानियां बनाने में माहिर और मतलबी हैं जॉर्ज सोरोस’… अमेरिकी कारोबारी पर जयशंकर का जोरदार पलटवार

नई दिल्ली। अमेरिकी अरबपति कारोबारी और सामाजिक कार्यकर्ता जॉर्ज सोरोस के उस बयान की जिसमें उन्होंने पीएम मोदी की सरकार और उनकी नीतियों को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया था। इस बयान की अब भारत में जमकर आलोचना हो रही है। अब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को भारत के लोकतंत्र पर अपनी टिप्पणी के लिए अमेरिकी अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस पर तंज कसते हुए कहा कि वह “बूढ़े, अमीर, मतलबी और खतरनाक हैं, जो कहानियां बनाने में माहिर हैं।” जयशंकर ने कहा कि जब चुनावी नतीजे उनकी पसंद के मुताबिक नहीं होते हैं तो सोरोस जैसे लोग लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल उठाने लगते हैं। जयशंकर ने इस वक्त ऑस्ट्रेलिया विजिट पर गए हुए हैं।

आपको बता दें कि यहां एक कार्यक्रम के दौरान बातचीत करते हुए संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “कुछ साल पहले, उन्होंने हम पर लाखों मुसलमानों की नागरिकता छीनने की योजना बनाने का आरोप लगाया, जो निश्चित रूप से नहीं हुआ था। यह एक हास्यास्पद था। लेकिन आपको यह समझना होगा कि इसका वास्तव में क्या मतलब है? मैं मानता हूं कि सोरोस न्यूयॉर्क में बैठे एक पुराने, समृद्ध विचारों वाले व्यक्ति हैं जो अभी भी सोचते हैं कि उनके विचारों से निर्धारित होता है कि पूरी दुनिया कैसे काम करती है।” जयशंकर ने आगे कहा, “अब अगर मैं केवल बूढ़े, अमीर और स्वच्छंद विचारों पर ही रुक जाता, तो मैं इसे दूर कर देता। लेकिन वह बूढ़े है, अमीर है, मतलबी है और खतरनाक है। क्योंकि क्या होता है जब ऐसे लोग वास्तव में आख्यानों को आकार देने में संसाधनों का निवेश करते हैं।” दरअसल, जॉर्ज सोरोस ने कुछ दिन पहले जर्मनी के म्यूनिख में सुरक्षा सम्मेलन में भारत के लोकतंत्र पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि गौतम अडानी प्रकरण के बाद सरकार को विदेशी निवेशकों और संसद को जवाब देना होगा, लेकिन पीएम मोदी अभी चुप हैं। इससे उनकी सरकार में पकड़ कमजोर होगी। भारत में लोकतांत्रिक प्रक्रिया का ‘पुनरुत्थान’ होने की पूरी संभावना है।

गौरतलब है कि अमेरिकी कारोबारी जॉर्ज सोरोस की टिप्पणी पर रिएक्शन देते हुए जयशंकर ने कहा, “उनके जैसे लोग सोचते हैं कि चुनाव अच्छा है अगर वे जिस व्यक्ति को देखना चाहते हैं, वह जीतता है और अगर चुनाव अलग परिणाम देता है तो वे कहेंगे कि यह एक त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र है। गौरतलब है कि इससे पहले शुक्रवार को, कांग्रेस ने भी जॉर्ज सोरोस को उनके बयान पर आड़े हाथों लिया था। कहा था कि अडानी मुद्दा देश में एक लोकतांत्रिक पुनरुत्थान को चिंगारी देगा या नहीं, यह पूरी तरह से सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर निर्भर करता है। इसका सोरोस से कोई मतलब नहीं है।

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