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सुहेलदेव का नाम लेने से डरते हैं गोरी-गाजी के अनुयायी: योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ओमप्रकाश राजभर पर परोक्ष रूप से कड़ा हमला बोलते हुए कहा कि उनकी सोच परिवार के विकास तक सीमित है। बाप मंत्री और एक बेटा सांसद तो दूसरा बेटा एमएलसी बनना चाहता है। ऐसे राजनीतिक ब्लैकमेलरों की दुकान बंद करनी होगी। सीएम योगी ने कहा कि मुहम्मद गोरी और आक्रांता गाजी के अनुयायी वोट बैंक के भय से हिन्दू रक्षक महाराजा सुहेलदेव के नाम से डरते हैं। इनको भय है कि सुहेलदेव का स्मारक बनने के बाद लोग गाजी को भूल जाएंगे और जनता राजनीतिक ब्लैकमेलरों को कूड़े में फेंक देगी। इसी भय से वह राष्ट्र रक्षक सुहेलदेव के स्मारक का अप्रत्यक्ष रूप से विरोध कर रहे थे ।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, रविवार को आयोजित सामाजिक प्रतिनिधि सम्मेलन को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे । इस मौके कैबिनेट मंत्री आशुतोष टंडन, कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर, राज्यसभा सांसद सकलदीप राजभर, विधायक विजय राजभर, पूर्व सांसद बब्बन राजभर, भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के अध्यक्ष नरेंद्र कश्यप आदि मौजूद थे । पूर्व मंत्री एवं सुभासपा मुखिया ओमप्रकाश राजभर का नाम लिये बिना सीएम योगी ने कड़ा हमला बोलते हुए कहा मेरी कैबिनेट में राजभर समाज के दो मंत्री थे । कैबिनेट की बैठक में एक मंत्री ने बहराइच में बनने वाले महाराजा सुहेलदेव के स्मारक प्रस्ताव का विरोध किया था जबकि अनिल राजभर चाहते थे भव्य स्मारक बने । आज बहराइच में महाराजा सुहेलदेव का भव्य स्मारक बन रहा है। भाजपा सरकार ने बहराइच मेडिकल कॉलेज का नाम महाराजा सुहेलदेव के नाम पर किया है। विपक्षी दलों से पूछा जाना चाहिए कि इन दलों ने महाराजा सुहेलदेव के लिए क्या किया? जबकि देश पर सर्वाधिक समय तक शासन करने वाली कांग्रेस ने सैकड़ों स्मारक का नामकरण नेहरू खानदान के नाम पर किया। सपा और बसपा को भी यूपी में चार-चार बार शासन करने का मौका मिला लेकिन एक भी स्मारक का नामकरण सुहेलदेव के नाम पर नहीं किया।


सपा, बसपा और कांग्रेस-खानदान तक सीमित
मुख्यमंत्री ने कहा सपा, बसपा और कांग्रेस खानदान के विकास तक सीमित हैं। वहीं प्रधानमंत्री मोदी देश को परिवार मानते हैं। पहले विपक्षी दलों के नेताओं की हवेली बनती थी । आज गरीब की हवेली बन रही है। पहले बिजली कैद कर ली जाती थी, आज सबको मिल रही है। आज हर गरीब को उसकी योग्यता पर नौकरी मिल रही है। पहले नौकरी निकलते ही एक खानदान वसूली पर निकल जाता था, एक जाति को नौकरी मिलती थी। यही फर्क है भाजपा और अन्य दलों

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