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J&K: पीएम नरेंद्र मोदी के साथ बैठक के बाद बोले गुलाम नबी आजाद, अच्छे माहौल में हुए बातचीत, कई मुद्दों पर पूछी गई राय

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री आवास पर जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की बैठक के बाद। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा आज जो मीटिंग हुई उसमें कांग्रेस की तरफ से बहुत सारी चीजें हमने प्रधानमंत्री को बताई कि किस तरह से एक स्टेट डिजॉल्व हुई है, वो नहीं होनी चाहिए थी, इलेक्टेड रिप्रेजेंटेटिव थे, उनसे पूछे बगैर किया गया, लेकिन अंत में वो तमाम चीजों को कहने के बाद हमने पांच बड़ी मांगें सरकार के सामने रखी हैं।

हम लोगों ने ये बताया कि सदन के अंदर गृहमंत्री ने भी और प्राइम मिनिस्टर ने भी ये आश्वासन दिया था हम स्टेटहुड बहाल करेंगे एक समय पर। अभी शांति भी है, सीज फायर भी है, बॉर्डर भी शांत है, तो इससे ज्यादा कोई अनुकूल समय नहीं हो सकता स्टेटहुड ग्रांट करने के लिए।

हम लोगों ने ये भी मांग की कि आप लोग कहते हैं कि लोकतंत्र को मजबूत करना है। अब आपने पंचायत के इलेक्शन किए, जिला परिषद के इलेक्शन किए तो ऐसा कैसे हो सकता है कि विधानसभा न हो, तो इसलिए विधानसभा का इलेक्शन भी तुरंत करना चाहिए, डेमोक्रेसी को बहाल करने के लिए।

तीसरी चीज हमने बताई कि बहुत बड़े जमाने से हमारे डोमिसाइल, हिस्टोरिकली डोमिसाइल के विशेषाधिकार को, जमीन का तो हमारे महाराजा के जमाने से था, 1925 के जमाने से और बाद में नौकरी का भी था, तो केन्द्र सरकार को ये गारंटी देनी चाहिए कि वो भी जब बिल लाएगी, तो उसके साथ हमारी जमीन की गारंटी और जो लोकल मुलाजिम है, आईएएस और आईपीएस, वो तो आते रहेंगे वो तो हर स्टेट में हैं, वहाँ भी आते रहेंगे, लेकिन जो एम्प्लॉयमेंट की अभी तक हमारे साथ जो एक सुविधा थी, वो सुविधा की गारंटी अब देनी चाहिए।

फिर हमने कहा कि कश्मीरी पंडित जो हैं, पिछले 30 साल से बाहर हैं। बहुत सारे, जम्मू में भी हैं, कश्मीर में भी हैं कुछ लेकिन अधिकतर बहुत बड़ी संख्या जो है, वो बाहर हैं। ये हमारी मौलिक ड्यूटी है, सरकार की तो बनती ही बनती है, लेकिन जम्मू और कश्मीर के हर एक राजनीतिक दल और नेता की ये मौलिक जिम्मेदारी है, कि वो कश्मीर के पंडितों को वापस लाएं और उनके रिहेबिलिटेशन में जो भी हमसे हो सकेगी, सरकार की सहायता करेंगे, मदद करेंगे कि वो कश्मीरी पंडित वापस कश्मीर आ जाएं।

पांचवा प्वाइंट था कि जिस वक्त 5 अगस्त को स्टेट के दो हिस्से किए गए और डाउनग्रेड किया गया, उससे पहले और उसके बाद भी हजारों की तादाद में पॉलीटिकल प्रिजनर्स थे, वर्कर्स थे, सोशल ऑर्गनाइजेशन के लोग थे, तो उनमें से हम मिलिटेन्ट्स की बात नहीं करते हैं, छोड़ने की, लेकिन इस तरह से जो राजनीति से जुड़े हुए लोग हैं, पॉलीटिकल लोग हैं, अपने एक डर के, भय से अगर इनको छोड़ेंगे तो कुछ होगा, उन सबको रिहा कर देना चाहिए, उनको छोड़ देना चाहिए। तो ये पांच बड़े मुद्दे हमारे थे।

एक प्रश्न पर कि सरकार की तरफ से क्या एजेंडा आपके सामने रखा गया था, गुलाम नबी आजाद ने कहा कि वो ओपन डिस्कशन था। वो पहले शुरु हम ही ने किया था, पहले स्पीकर थे कांग्रेस की तरफ से। तो हम लोगों ने पहले ही बताया एजेंडा, उन्होंने कहा कि समय और बोलने की कोई सीमा नहीं है, बहुत ज्यादा बोलते जिस विषय पर भी आप बोलना चाहो उस विषय पर बोलते हैं।

एक अन्य प्रश्न पर कि कुछ पार्टियाँ आर्टिकल 370 को हटाने की बात कह रही थीं, क्या इस तरह की चर्चा भी हुई थी, आजाद ने कहा कि अधिकतर लोगों ने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अधिक महत्व देंगे।

एक अन्य प्रश्न पर कि स्टेटहुड का मामला हो या इलेक्शन का मामला हो, प्रधानमंत्री ने क्या कोई आश्वासन दिया आप लोगों को, आजाद ने कहा कि गृहमंत्री, प्रधानमंत्री से पहले बोले और उन्होंने कहा कि हम वचनबद्ध हैं स्टेटहुड देने के लिए, लेकिन पहले डीलिमिटेशन हो, इलेक्शन भी हो जाएंगे। इलेक्शन के लिए भी हम वचनबद्ध हैं और स्टेटहुड देने के लिए भी हम वचनबद्ध हैं।

तो खाली उन्होंने कहा कि सिर्फ इसका इंतजार है और उसका विलंब हो गया, इसकी वजह से, कोविड की वजह से हो नहीं पाया, वरना अब तक डीलिमिटेशन हो जाता। तो डीलिमिटेशन खत्म की प्रक्रिया हो जाएगी,  तो हम इलेक्शन भी करवाएंगे और स्टेटहुड भी देंगे।

एक अन्य प्रश्न पर कि क्या आप लोग संतुष्ट हैं सरकार से, आजाद ने कहा कि हम लोग संतुष्ट उस दिन हो जाएंगे जिस दिन इलेक्शन हो जाएगा, स्टेटहुड मिल जाएगी और सबने ये मांग की है, हम लोगों ने भी मांग की है फुल फ्लेज्ड स्टेटहुड की बात हम कर रहे हैं।

एक अन्य प्रश्न पर कि क्या चुनाव कराने की कोई समय सीमा सरकार की तरफ से दी गई है, आजाद ने कहा कि उसके लिए पीएम ने कहा, हम लोगों ने कहा कि पहले बुलाया तो उन्होंने कहा कि मेरा बिल्कुल पिछले साल से ये मन था कि बुलाऊं लेकिन क्योंकि कोविड था, तो कोविड में इतने लोगों को इकट्ठे बुलाना बल्कि उन्होंने ये भी कहा कि पोस्ट कोविड ये सबसे बड़ी मीटिंग इस हॉल में हुई है और ये सबसे बड़ी है कोविड में, लेकिन एक विंडो निकला तो इस विंडो में हमने बात की।

एक अन्य प्रश्न पर कि आज खबर आई है कि परिसीमन आयोग भी जल्द ही सर्वदलीय बैठक बुलाएगा, क्या आप लोग उसका स्वागत करते हैं कि जल्दी से होनी चाहिए, आजाद ने कहा कि हां, जल्दी होना चाहिए। अगर इलेक्शन करना है और नॉर्मल्सी बहाल करनी है, डेमोक्रेसी बहाल करनी है। हम चाहते हैं कि तुरंत डेमोक्रेसी बहाल हो जाए। हम लोगों ने ये भी बात रखी कि हम ब्यूरोक्रेसी के खिलाफ नहीं हैं। ब्यूरोक्रेसी एक हिस्सा है डेमोक्रेसी का और सरकार का, लेकिन ब्यूरोक्रेसी सरकार खुद अपने आप में लेजिस्लेचर का काम नहीं कर सकती, मंत्री का काम नहीं कर सकती है, तो इसलिए ब्यूरोक्रेसी, हमारे कॉन्स्टीट्यूशन में निर्धारित है, ब्यूरोक्रेसी को क्या करना है, और पॉलिटिकल लीडरशिप को क्या करना है, इसको पीएम ने स्वयं माना कि ब्यूरोक्रेसी पॉलिटीशियन को रिप्लेस नहीं कर सकती है, उनका एक अलग सिस्टम है काम करने का औऱ राजनेताओं का अलग है तो इसलिए हम लोगों ने कहा कि अब इतने सालों से ये चल रहा है तो उसकी वजह से लोगों को दिक्कत होती है, तो जिस तरह से पॉलिटीशियन मिलता है लोगों से, उस तरह से तो ब्यूरोक्रेट नहीं मिलेगा।

एक अन्य प्रश्न पर कि महबूबा मुफ्ती कह रहीं थी कि अगर तालिबान से बात हो सकती है, तो पाकिस्तान से भी बात करनी चाहिए,  आजाद ने कहा कि अंदर ऐसी कोई बात नहीं हुई है।

एक अन्य प्रश्न पर कि क्या बाकी पार्टियां भी कांग्रेस के 5 प्वाइंट्स से सहमत हुईं, साथ ही आप फुल स्टेटहुड की बात कर रहे हैं, इसका मतलब है कि आप लोग बिल्कुल साफ कह रहे हैं कि एलजी का शासन नहीं चाहिए,  आजाद ने कहा कि हम लोगों ने बता दिया न, नाम लेकर बताया, बाकी सबने बताया कि अगर एलजी अच्छा है, तो इसको गवर्नर बनाओ, इनको प्रमोट करो।

एक अन्य प्रश्न पर कि आप लोग एलजी के काम से खुश है, ऐसा लगता है,  आजाद ने कहा कि वह पॉलिटीशियन हैं और समझते हैं, पॉलीटिक्स समझते हैं, पॉलिटीशियन समझते हैं और बहुत फर्क होता है, अंतर में, पॉलिटीशियन गवर्नर होना और नॉन पॉलिटीशियन गवर्नर होना, लेकिन वो एक सप्लीमेंट्री चीज थी, सबका ये कहना था, फुल फ्लेज्ड स्टेट गवर्मेंट होनी चाहिए। हमारी भी वही पहली मांग थी, सबने उसका समर्थन किया।

लेह-लद्दाख और कारगिल के बारे में पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में आजाद ने कहा कि उसके बाद हमने, मैंने पूछा था अपने क्वेश्चन में कि उसके बारे में बताना चाहिए लेकिन चूंकि लद्दाख का और लेह और कारगिल का कोई रीप्रजेंटेटिव नहीं था, तो उसका मतलब यही है कि उस बारे में अभी कोई बात नहीं करनी, बताया ही नहीं था।

एक अन्य प्रश्न पर कि क्या आगे भी कोई बैठक होगी, क्या इसके बारे में आज कुछ कहा गया है, आजाद ने कहा कि नहीं, अभी कोई चर्चा नहीं हुई है उस पर।

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