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Gujarat Politics : गुजरात में बीजेपी कर रही धड़ाधड़ रैलियां, रोड शो, लेकिन कांग्रेस कर रही चुपचाप प्रचार, जानें- AAP की क्या है रणनीति

Gujarat Politics: इस बार गुजरात में चुनावी मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में पीएम मोदी के गृहराज्य में एक उत्साही अभियान शुरू किया है। कांग्रेस पार्टी ने बड़ी रैलियों या रोड शो के बजाय घर-घर प्रचार करने से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में छोटी-छोटी सभाओं को संबोधित करने तक अपने अभियान को केंद्रित किया है।

नई दिल्ली। 1 और 5 दिसंबर के बीच 2 चरणों में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले सभी दल जोर-शोर से तैयारियों में जुटे हुए हैं। कल (शनिवार) प्रधानमंत्री मोदी की गुजरात का वलसाड में रोड शो हुआ था जिसमें भारी संख्या में जन समर्थन जुटा हुआ था। गुजरात चुनावों में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला है। बीजेपी-कांग्रेस के बीच दशकों पुराने सियासी संग्राम में इस बार आम आदमी पार्टी भी कूद पड़ी है। तीनों दल इसके लिए एड़ी-चोटी एक कर रहे हैं। बीजेपी जहां रैलियों का रेला लगा रही है, वहीं कांग्रेस गुपचुप तरीके से चुनाव प्रचार कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद बीजेपी कार्यकर्ताओं से सतर्क रहने को कहा है। वहीं बीजेपी कार्यकर्ता लगातार रैलियां कर रहे हैं और बीजेपी के लिए जनसमर्थन जुटाने में लगे हुए हैं।

इसके अलावा पीएम मोदी ने एक रैली में गुजरात भाजपा कार्यकर्ताओं को अन्य दलों से सतर्क रहने की चेतावनी दी और कहा,”भले ही वे (कांग्रेस) रैलियां न करें या जनसभाएं और प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित न करें, वे चुपचाप काम कर रहे हैं, इसलिए सतर्क रहें।” मोदी कांग्रेस की खटला बैठकों या अनौपचारिक बैठकों का जिक्र कर रहे थे। विपक्षी पार्टी, कांग्रेस- जिसने 2017 में भाजपा के खिलाफ एक जोरदार लड़ाई लड़ी थी और 1995 के बाद पहली बार बीजेपी को 99 सीटों पर सिमटने को मजबूर कर दिया था- इसबार चुपचाप काम कर रही है। इस बार भाजपा को कुछ सीटों का नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है तो वही चुनावी सर्वे के मुताबिक आम आदमी पार्टी भी कुछ सीटों पर कब्जा करती हुई दिखाई दे रही है।

हालांकि आपको बता दें कि इस बार गुजरात में चुनावी मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में पीएम मोदी के गृहराज्य में एक उत्साही अभियान शुरू किया है। कांग्रेस पार्टी ने बड़ी रैलियों या रोड शो के बजाय घर-घर प्रचार करने से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में छोटी-छोटी सभाओं को संबोधित करने तक अपने अभियान को केंद्रित किया है। हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि कांग्रेस की इस रणनीति में बदलाव पैसे की कमी के कारण है या कोर वोटर्स पर ध्यान केंद्रित करने का एक सुविचारित फैसला है। हालांकि, कांग्रेस आश्वस्त दिखती है। कांग्रेस नेता शक्तिसिंह गोहिल कहते हैं, “हर पार्टी अपनी रणनीति के साथ आती है। हमारे कोर ग्रुप ने काफी होमवर्क के बाद सोचा कि इससे बेहतर नतीजे मिलेंगे। चुपचाप काम करने का मतलब यह नहीं है कि हम निष्क्रिय हैं।” गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष दोशी कहते हैं, 2017 में हमने बीजेपी को 99 पर रोका था, इस बार हम 125 पर पहुंचेंगे। उधर, चुनाव को त्रिकोणीय बनाने वाली आम आदमी पार्टी राज्य में दिल्ली मॉडल लागू करते हुए बड़ी-बड़ी रैलियां और रोड शो करने से लेकर मुफ्त उपहार और गारंटी देने तक, सब कुछ कर रही है।

वहीं गुजरात चुनाव की तैयारियों में जी जान लगाकर जुटे हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुजरातियों को दिल्ली मॉडल की पेशकश करते हुए सौराष्ट्र में एक भाषण के दौरान कहा, “कोई अन्य पार्टी आपसे स्कूलों, अस्पतालों, बिजली, रोजगार के बारे में बात करने नहीं आती है। हमारी एकमात्र पार्टी है, जो ऐसा कर रही है।” केजरीवाल ने कहा, “पहले, गुजरात के लोगों के पास कोई विकल्प नहीं था। किसी भी सरकार ने बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य के असली मुद्दों पर बात नहीं की। विधानसभा चुनाव के नतीजे सभी को चौंका देंगे।” आप की गुजरात चुनाव में एंट्री ने न सिर्फ लड़ाई को त्रिकोणीय बना दिया है बल्कि बीजेपी को ड्रॉइंग बोर्ड पर वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया है। बीजेपी अपने घोषणा पत्र पर जनता की राय जानने के लिए अभियान चला रही है। यह आप के “अपना मुख्यमंत्री चुनें” अभियान का ही नारा है।

 

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