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गुजरात शुरू से अव्वल, केरल आखिर से, नल के जरिए ‘घर-घर जल योजना’ का रिपोर्ट कार्ड

नई दिल्ली। तरक्की के मामले में एक के बाद दूसरे रिकार्ड स्थापित कर रहे गुजरात ने जल जीवन मिशन में भी झंडे गाड़ रखे हैं। नल के जरिए घर घर जल पहुंचाने के इस मिशन में गुजरात अव्वल नंबर पर है। इस सिलसिले में देश के चोटी के सात राज्यों में गुजरात का नाम पहले पायदान पर है। जबकि कथित कम्युनिस्ट क्रांति का अगुवा केरल सबसे पिछड़े राज्यों की सूची में है। ये आलम तब है जबकि केंद्र की ओर से केरल को इस योजना के तहत बढ़ चढ़कर फंड दिया गया है। गुजरात की इस उपलब्धि के सिले के तौर पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत ने उसे 465 करोड़ के विशेष अनुदान में से 100 करोड़ रुपए अलग से आवंटित किए। यह विशेष प्रोत्साहक अनुदान था जिसका सबसे बड़ा हिस्सा गुजरात को दिया गया। गुजरात की इस उपलब्धि के पीछे मुख्यमंत्री विजय रूपानी का विशेष प्रयास और अनवरत कोशिशें रहीं। सीएम विजय रूपानी ने पीएम मोदी के जल जीवन मिशन के तहत चलाई जा रही इस योजना के अंतर्गत साल 2022 तक गुजरात के सौ फीसदी घरों में नल से पानी की आपूर्ति का लक्ष्य रखा है।

यह मिशन जितना बड़ा है, गुजरात के सीएम विजय रूपानी की कोशिशें भी उतनी ही व्यापक हैं। उनकी कोशिशों का नतीजा है कि गुजरात फ्लोराइड या फिर एलिफेन्टाइटिस सरीखी जलजलित बीमारियों को खत्म करने की कगार पर है। सीएम विजय रूपानी के इस अभियान का ही नतीजा है कि गुजरात में ग्रामीण इलाकों की महिलाओं को सिर पर घड़ा रखकर दूर दूर जाने की तकलीफ से तेजी से निजात मिल रही है।

उधर कथित सेक्युलर तबके के जरिए हमेशा जन्नत की तरह पेश किए जाने वाले केरल का बुरा हाल है। केरल में करीब 45 लाख घर ऐसे हैं जहां नल का पानी नसीब नही है। जलशक्ति मंत्रालय ने केरल की इस दुर्दशा पर खासी चिंता भी जताई है। हालात ये हैं कि केरल में साल 2020-21 में मात्र 4.04 लाख घर ही नल के पानी की योजना के दायरे में लाए जा सके हैं। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस सिलसिले में केरल के मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर आगाह भी किया है। गुजरात जहां एक और घर घर पानी पहुंचाने के मामले में विकास की चमकती तस्वीर बना हुआ है वहीं केरल की बदहाली की तस्वीर भी एकदम शीशे की तरह साफ है।

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