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Congress: चिंतन शिविर के बाद और बढ़ गई कांग्रेस की चिंता, हार्दिक और सुनील जाखड़ के बाद अब राजस्थान से आने वाली है बुरी खबर

sonia rahul

नई दिल्ली। यह कहना गलत नहीं होगा कि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस बीते कुछ सालों से अपने राजनीतिक इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। कांग्रेस की इस दशा के लिए लोग कई कारणों को जिम्मेदार मानते हैं। जिनमें से कांग्रेस में नेतृत्व की कमी, कोई मजबूत चेहरा ना मिलना जैसे कई कारण सामने आ जाते हैं। अगर बात करें तो 2014 में भारतीय राजनीति में मोदी सरकार की एंट्री के बाद तो जैसे कांग्रेस को नजर ही लग गई। मोदी सरकार ने सरकार ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया था और वो सफल साबित होते नजर आ रहा है। कभी पूरे देश में कांग्रेस का दबदबा हुआ करता था लेकिन अब कांग्रेस की ऐसी स्थिति हो गई। कि पार्टी अब महज 2 राज्यों में छत्तीसगढ और राजस्थान में सिमटकर कर रह गई है। वहीं भी पार्टी के अंदर अदरूनी कलह की खबरें सामने आती रहती है। हालांकि बीते दिनो अपना वर्चस्व खो चुकी कांग्रेस पार्टी ने राजस्थान के उदयपुर में चिंतन शिविर का आयोजन किया था जिसके जरिए पार्टी को दोबारा खुद को खड़ा की कोशिश की, लेकिन चिंतन के बाद कांग्रेस की चिंता खत्म होने की जगह और ज्यादा बढ़ते नजर आ रही है।

बता दें कि हाल ही में कांग्रेस के 2 बड़े युवा नेताओं की नाराजगी देखने को मिली थी। पाटीदार नेता हार्दिक पटेल (hardik patel quits congress) और राजस्थान यूथ कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गणेश घोघरा ( Rajasthan Congress mla Ganesh Ghogra) ने बीते दिनों कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। खास बात ये ही दोनों ही नेताओं ने एक ही दिन पार्टी से इस्तीफा दिया था और दोनों राज्यों में चुनाव भी होने है। वहीं राजनीति के जानकारों का मानना है कि हार्दिक पटेल और गणेश घोघरा का इस्तीफा देने कांग्रेस के लिए बड़ा नुकसान साबित हो सकता है। दोनों युवा नेताओं की नाराजगी का सीधा प्रभाव साल 2022-23 के मध्य होने वाले गुजरात (Gujarat) और राजस्थान (Rajasthan) विधानसभा चुनाव पर भी खासा असर डाल सकता है। ऐसे में कांग्रेस के लिए पार्टी में बढ़ रही नाराजगी को खत्म करना बड़ी चुनौती बन गया है।

राजनीतिक विशेषज्ञ का कहना है कि हार्दिक और गणेश घोघरा के नाराज होने से आदिवासी और पाटीदार समाज के वोटों पर असर पड़ सकता है। एक ओर जहां कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बेणेश्वर धाम ले जाकर पार्टी आदिवासी समाज को साधने की कोशिश में लगी हुई है। वहीं गणेश घोघरा की नाराजगी लंबे वक्त तक रहना पार्टी के लिए बडा नुकसानदायक साबित हो सकता है। इसकी वजह ये है कि यूथ कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष होने के नाते घोघरा की युवा नेताओं के बीच अच्छी पकड़ है। वहीं ट्राइबल समाज से आने वाले गणेश घोघरा पूरे टीएसपी बेल्ट में अपना वर्चस्व रखते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि राजस्थान का यह टीएसपी बेल्ट गुजरात तक जाता है। खबरों के अनुसार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पार्टी अलाकमान के साथ मिलकर राजस्थान से पहले गुजरात में जीत का परचम लहराने की कवायद करने में जुटे हुए हैं। इतना ही नहीं सीएम अशोक गहलोत लगातार उस बेल्ट में बार-बार दौरा भी कर रहे है, जो राजस्थान से गुजरात जाता है।

बता दें कि वोंट बैंक को साधने के लिए सीएम गहलोत 24 अप्रैल को डूंगरपुर में हुए पाटीदार समाज के सम्मेलन में शामिल हुए थे, लेकिन अब कांग्रेस के लिए राजस्थान और गुजरात के इस रूट में वोट बटोरना चुनौती भरा हो गया है। इसकी दो बड़ी वजह है कि पहला पाटीदार नेता हार्दिक पटेल का इस्तीफा देना और दूसरी ओर डूंगरपुर में एसडीएम समेत कई अधिकारियों को पंचायत भवन में बंधक बनाने को लेकर हुई एफआईआर से गणेश घोघरा नाराज है।

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