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स्वास्थ्य मंत्रालय ने होम आइसोलेशन को लेकर जारी किए गए दिशा-निर्देश

नई दिल्ली। कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार की तरफ से कई तरह के कदम उठाए जा रहे हैं। इसी के तहत केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने होम आइसोलेशन को लेकर एक नई गाइडलाइन जारी की है। जिन मरीजों में कोरोना के कम लक्षण हों ऐसे मरीज जो अपने निवास पर सेल्फ आइसोलेशन में हैं, उनके पास अब होम आइसोलेशन का विकल्प होगा।

अपने निर्देश में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा है कि, कोरोना वायरस के हल्के लक्षणों वाले कोरोना रोगियों के पास यदि घर में रहने और आराम करने की बेहतर सुविधा है, तो वह होम आइसोलेशन का पालन कर सकते हैं। इसके लिए रोगी को खुद आकर अपनी बीमारी की जानकारी देनी होगी और ये बताना होगा कि वह अपनी मर्जी से घर पर ही आइसोलेट होना चाहता है। अभी तक के नियमों के हिसाब से संदिग्ध रोगियों और हल्के लक्षणों वालों को कोविड केयर सेंटर में रखने का प्रावधान है।

नई गाइडलाइन में कहा गया है कि यदि कोरोना का संदिग्ध व्यक्ति और हल्के लक्षणों वाले रोगियों के पास घर में एकांतवास में रहने की जगह है और उनके साथ चौबीसो घंटे देख-रेख करने वाले कार्मिक उपलब्ध हैं, तो घर में वह पृथक वास में रह सकेगा। ऐसे मामलों में संदिग्ध रोगी और हल्के लक्षणों वाले रोगियों को स्वत: घोषणा करनी होगी कि वह स्वेच्छा से यह सुविधा ले रहा है। वर्तमान दिशा-निर्देश केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से 7 अप्रैल, 2020 को संदिग्ध/पुष्ट मामले के उचित प्रबंधन पर जारी दिशा-निर्देशों के अतिरिक्त है।

यहां देखें नए निर्देश :

अगर डॉक्टर ने किसी व्यक्ति में कोरोना के लक्षण की संख्या काफी कम बताई है, तो वह होम आइसोलेशन कर सकता है। सेल्फ-आइसोलेशन या होम आइसोलेशन के दौरान मरीज परिवार के संपर्क में न आए इसके लिए उनके निवास पर जरूरी सुविधाएं होनी चाहिए। घर पर आइसोलेशन के लिए साथ में रहने वालों के लिए भी अलग रहने की सुविधा होनी चाहिए।

24×7 आधार पर देखभाल करने के लिए एक व्यक्ति उपलब्ध होना चाहिए। आइसोलेशन अवधि के दौरान देखभालकर्ता और अस्पताल के बीच लगातार संवाद जरूरी है।

कोरोना संक्रमित मरीज की देखभाल करने वाले व साथ में रहने वाले व्यक्ति को डॉक्टर की सलाह के अनुसार हाइड्रोक्सीक्लोक्वीन दवा लेनी चाहिए। मोबाइल पर आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करें और यह हर समय ब्लूटूथ और वाई-फाई के माध्यम से सक्रिय रहना चाहिए। व्यक्ति को लगातार अस्पताल और जिला के मेडिकल अधिकारी को अपनी सेहत की जानकारी देनी होगी। रोगी सेल्फ क्वारंटाइन के लिए घर पर क्वारंटाइन नियमों का पालन करने के संबंध में एक घोषणा प्रपत्र भरकर देगा वही, व्यक्ति होम आइसोलेशन के लिए पात्र होगा। इसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर अधिक जानकारी दी गई है।

रोगी अपने स्वास्थ्य की निगरानी करने के लिए सहमत होना होगा और नियमित रूप से अपनी स्वास्थ्य स्थिति निगरानी टीमों द्वारा आगे की निगरानी के लिए जिला निगरानी अधिकारी को सूचित करेगा।

गंभीर संकेत या लक्षण विकसित होने पर आवश्यक तौर पर तत्काल चिकित्सकीय देखभाल की ओर ध्यान देना चाहिए। इनमें ये लक्षण हो सकते हैं- सांस लेने में तकलीफ, छाती में लगातार हो रहा दर्द/दबाव ,मानसिक भ्रम या आक्रोश में असमर्थता, होठ-चेहरे का नीला पड़ना या जब डॉक्टर के द्वारा उपचार की सलाह दी जाए। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, यदि लक्षण नैदानिक ​​रूप से समाप्त हो गए हों और निगरानी चिकित्सा अधिकारी द्वारा उसे परीक्षण के बाद संक्रमण से मुक्त होने के लिए प्रमाणित किया जाता है, तो वह होम आइसोलेशन बंद कर सकते हैं।

होम क्वारंटाइन/आइसोलेशन से जुड़े सभी दिशा-निर्देशों समेत सभी सूचनाएं स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। देखभाल करने वाले और रोगी दोनों को ही आवश्यक निर्देश का पालन करना होगा।

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