नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कांग्रेस पार्टी के 6 विधायकों को मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) नियुक्ति किया था। सरकार के इस आदेश को रिट के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। जिस पर आदेश देते हुए हाईकोर्ट ने सभी सीपीएस की नियुक्तियों को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने इन नियुक्तियों को असंवैधानिक करार देते हुए साल 2006 के सीपीएस एक्ट को भी निरस्त कर दिया है। हाईकोर्ट ने सीपीएस के तहत मिलने वाली सरकारी सुविधाओं को भी बंद करने का आदेश सुनाया है।
<blockquote class=”twitter-tweet”><p lang=”en” dir=”ltr”><a href=”https://twitter.com/hashtag/WATCH?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw”>#WATCH</a> | Dharamshala, Himachal Pradesh: On HC order on the Chief Parliamentary Secretaries case, CM Sukhvinder Singh Sukhu says, " I have not read the HC verdict so far. If it is as you say, we will analyse it and discuss it with the concerned officers and the cabinet." <a href=”https://t.co/Eb5za5oXow”>pic.twitter.com/Eb5za5oXow</a></p>— ANI (@ANI) <a href=”https://twitter.com/ANI/status/1856668400166309988?ref_src=twsrc%5Etfw”>November 13, 2024</a></blockquote> <script async src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” charset=”utf-8″></script>
सुक्खू सरकार ने रोहड़ू के विधायक एमएल ब्राक्टा, कुल्लू के विधायक सुंदर सिंह ठाकुर, अर्की के विधायक संजय अवस्थी, पालमपुर के विधायक आशीष बुटेल, दून के विधायक राम कुमार चौधरी और बैजनाथ के विधायक किशोरी लाल को सीपीएस नियुक्त किया था। इन सभी लोगों सरकारी गाड़ी के साथ दफ्तर, स्टाफ और मंत्रियों के समान वेतन मिल रहा था। हाईकोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि मैंने अभी तक फैसला पढ़ा नहीं है। हम इसका विश्लेषण करेंगे और संबंधित अधिकारियों तथा कैबिनेट के साथ इस पर चर्चा करेंगे।
<blockquote class=”twitter-tweet”><p lang=”en” dir=”ltr”>Shimla, Himachal Pradesh: Advocate Veer Bahadur says, "After a long wait, the CPS appointments were challenged in the High Court through a writ of mandamus, and today the decision has come in our favor. The court has ruled that the Himachal Pradesh Parliamentary Secretary 2006… <a href=”https://t.co/hDvMJ8Y9ZG”>pic.twitter.com/hDvMJ8Y9ZG</a></p>— IANS (@ians_india) <a href=”https://twitter.com/ians_india/status/1856664706397946068?ref_src=twsrc%5Etfw”>November 13, 2024</a></blockquote> <script async src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” charset=”utf-8″></script>
याचिकाकर्ता के वकील वीर बहादुर ने फैसला से संतुष्टि जताते हुए कहा कि कोर्ट ने हमारी बात को सुनते हुए फैसला हमारे पक्ष में सुनाया है। कोर्ट ने माना है कि हिमाचल प्रदेश संसदीय सचिव 2006 अधिनियम बनाए रखने योग्य नहीं है। वहीं, हिमाचल सरकार के वकील जनरल अनूप रत्न का कहना है कि हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।
<blockquote class=”twitter-tweet”><p lang=”en” dir=”ltr”><a href=”https://twitter.com/hashtag/WATCH?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw”>#WATCH</a> | Dharamshala, Himachal Pradesh: On HC order on the Chief Parliamentary Secretaries case, Congress MLA Kishori Lal, "We respect the High Court's order. We did not have a lot of facilities to be taken back…" <a href=”https://t.co/KxushB2Au9″>pic.twitter.com/KxushB2Au9</a></p>— ANI (@ANI) <a href=”https://twitter.com/ANI/status/1856674466870493550?ref_src=twsrc%5Etfw”>November 13, 2024</a></blockquote> <script async src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” charset=”utf-8″></script>
वहीं, बैजनाथ से कांग्रेस विधायक किशोरी लाल जिनको सीपीएस नियुक्त किया गया था, ने कहा कि हाईकोर्ट के निर्णय का हम सम्मान करते हैं। एक गाड़ी के अलावा हमारे पास ऐसी कोई सुविधा नहीं है जो हमसे वापस ली जाएगी और गाड़ी भी हम पहले ही वापस कर चुके हैं।