नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने गुरुवार को हाल ही में लागू भारतीय न्याय संहिता (BNS) के प्रावधानों के तहत एक आरोपी को अंतरिम जमानत दे दी। यह 1 जुलाई से लागू हुए नए अधिनियम के तहत दर्ज अपराध के लिए उच्च न्यायालय द्वारा पारित पहला ऐसा आदेश था। बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी बलदेव सिंह पर 1 जुलाई को कांगड़ा जिले के ज्वालामुखी पुलिस स्टेशन में बीएनएस धारा 352 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना) और 351 (2) (आपराधिक धमकी) के तहत आरोप लगाया गया था। इसके अतिरिक्त, उस पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3(1)(R) और 3(1)(S) के तहत आरोप लगाया गया था।
बलदेव सिंह 4 जुलाई को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के समक्ष शारीरिक रूप से पेश हुए और आत्मसमर्पण कर दिया। अधिवक्ता गणेश बारोवालिया ने जमानत के लिए याचिका दायर करते हुए अदालत में याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व किया। न्यायमूर्ति राकेश कंठला ने अपराध की प्रकृति को देखते हुए आरोपी को 25 हजार रुपये के निजी मुचलके पर अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया।
अदालत ने बलदेव सिंह को पुलिस के निर्देशानुसार जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया। राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता जितेंद्र के. शर्मा को जमानत याचिका पर जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया। अदालत ने राज्य को याचिकाकर्ता को जमानत अर्जी की वर्तमान स्थिति और निर्धारित सुनवाई के बारे में सूचित करने का भी निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 14 जुलाई को तय की गई है।
गौरतलब है कि दिसंबर 2023 में संसद द्वारा पारित भारतीय न्याय संहिता ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह ली, जो ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के समय से लागू थी और 1 जुलाई 2024 को प्रभावी हुई।
पहला केस ग्वालियर में एक बाइक की चोरी का दर्ज हुआ था
जानकारी के लिए आपको बता दें कि भारतीय न्याय संहिता के तहत अब तक तमाम केस दर्ज हुए हैं। 1 जुलाई से भारतीय न्याय संहिता लागू हुई है। इसके तहत पहला केस ग्वालियर में एक बाइक की चोरी का दर्ज हुआ था। जबकि, दिल्ली में एक खोमचे वाले पर दर्ज केस को बाद में पुलिस ने वापस ले लिया था।