News Room Post

Happy New Year 2024: न्यू ईयर की शुरुआत कैसे हुई? सबसे पहले किसने किया था सेलिब्रेट? यहां जानें अपने सभी सवालों के जवाब

नई दिल्ली। कुछ घंटों का इंतजार है। इसके बाद हम नए साल में दस्तक दे चुके होंगे। फिलहाल पूरी दुनिया 2023 के आखिरी दिन यानी की 31 दिसंबर की विदाई और 1 जनवरी के आगमन के बीच के पहर को खुशनुमा बनाने की तैयारी में जुट चुकी है। नए साल के स्वागत की तैयारियां जोरों पर हैं। सभी लोगों में नए साल को लेकर उत्साह अपने चरम पर देखने को मिल रहा है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है या आपके जेहन में कभी ये सवाल आया कि आखिर क्यों 1 जनवरी को ही नया साल सेलिब्रेट किया जाता है?

आखिर इसकी शुरुआत कैसे हुई? आखिर सबसे पहले किसने यह फैसला किया कि पूरी दुनिया 1 जनवरी से ही अब नया साल सेलिब्रेट करेगी? आखिर क्यों नया साल बनाने के लिए कोई दूसरी तिथि निर्धारित नहीं की गई? अगर आपके जेहन में कभी ये सवाल आए हैं, तो यकीन मानिए आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं, क्योंकि इस रिपोर्ट में हम आपको आपके इन्हीं सब सवालों के जवाब तफसील से देने जा रहे हैं।

आपको बता दें कि सबसे पहले नया साल बनाने की परंपरा 45 BCE में शुरू हुई थी। इससे पहले नया साल मार्च महीने में यानी की रोमन कैंलडर के मुताबिक मनाया जाता था, लेकिन डिक्टेटर जूलियस सीजर ने सबसे पहले फैसला किया कि अब नया साल 1 जनवरी को मनाया जाएगा। हालांकि, शुरुआत में यह संदेश बहुत ही कम लोगों तक पहुंचा था कि नव वर्ष की तारीख परिवर्तित कर दी गई है।

वहीं, कई लोगों ने इसे स्वीकारने से गुरेज किया, लेकिन गुजरते वक्त के सात इसकी स्वीकारता में व्यापकता आई। इतिहास के मुताबिक, 16वीं शताब्दी तक लोगों ने 1 जनवरी को नया साल मनाने से गुरेज किया। वो इस बात के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थे कि हम नया साल 1 जनवरी को मनाए, लेकिन ईसाई धर्म के आगमन के बाद लोगों ने बड़े पैमाने पर नया साल 1 जनवरी को मनाना शुरू कर दिया।

जूलियन कैलेंडर ने इस बात को स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं किया कि 25 दिसंबर को ईसा मसीह का जन्म दिन होता है, तो इसके कुछ दिनों के बाद ही यानी की 1 जनवरी को नया साल मनाए जाए, तो इसमें कोई संकोच नहीं होना चाहिए।

आपको बता दें कि 4000 साल पहले प्राचीन बेबीलोनियन सभ्यता के दौरान लगातार 11 दिनों तक नया साल मनाया जाता था। इस उत्सव को बेबिलोन में Akitu के नाम से जाना जाता था। जिसमें कई तरह की रस्मों की अदायगी की जाती थी। इसके बाद गुजरते वक्त के साथ नया साल मनाने की शैली में परिवर्तन आते गए जिसे लोग व्यापक स्तर पर सहर्ष स्वीकार करते चले गए।

Exit mobile version