नई दिल्ली। दिल्ली में ग्रैप-4 के प्रतिबंधों के बावजूद प्रदूषण का स्तर घट नहीं रहा है। पूरी दिल्ली गैस चैंबर बनी हुई है और लोगों का सांस लेना दूभर हो रहा है। दिन पर दिन बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने केंद्र सरकार को कृत्रिम बारिश कराने के संदर्भ में चिट्ठी लिखी है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली में एक मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति है। स्मॉग की चादर को तोड़ने के दो ही उपाय हैं या तो बहुत तेज हवा या बारिश। गोपाल राय ने कहा कि हमें लगता है वह समय आ गया है कि दिल्ली के अंदर स्मॉग की चादर तोड़ने के लिए आर्टिफिशियल रेन कराई जाए।
<blockquote class=”twitter-tweet”><p lang=”en” dir=”ltr”>Delhi Environment Minister Gopal Rai writes to Union Environment Minister Bhupender Yadav, requesting him "to immediately convene an emergency meeting with Delhi Govt, IIT Kanpur and all other central Government Departments/agencies like DGCA, MHA, Ministry of Defence etc.… <a href=”https://t.co/8A6w1Leeuz”>pic.twitter.com/8A6w1Leeuz</a></p>— ANI (@ANI) <a href=”https://twitter.com/ANI/status/1858773223015616885?ref_src=twsrc%5Etfw”>November 19, 2024</a></blockquote> <script async src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” charset=”utf-8″></script>
दिल्ली के मंत्री बोले, मैं इसके लिए केंद्र सरकार में पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को चिट्ठी लिख रहा हूं कि केंद्र सरकार तुरंत इमरजेंसी मीटिंग करें जिसमें दिल्ली सरकार और आईआईटी कानुपर के एक्सपर्ट जिन्होंने आर्टिफिशियल रेन पर रिसर्च किया है और केंद्र के जिन मंत्रालयों की परमीशन की जरूरत है, उन्हें इमरजेंसी मीटिंग में बुलाया जाए।
कृत्रिम बारिश कराने की प्रक्रिया
कृत्रिम बारिश को लेकर आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने शोध किया है। कृत्रिम बारिश के लिए कुछ परिस्थितियां जरूरी है जैसे हवा की गति और दिशा तथा आसमान में 40 प्रतिशत बादल। कृत्रिम बारिश कराने के लिए आसमान में निश्चित ऊंचाई पर सिल्वर आयोडाइड, ड्राई आइस और नमक को वैज्ञानिकों द्वारा बादलों में छोड़ा जाता है। इससे बादलों का पानी जीरो डिग्री तक ठंडा हो जाता है, जिससे हवा में मौजूद पानी के कण जम जाते हैं और वो प्राकृतिक बर्फ की तरह बनते हैं। इसके बाद बारिश हो जाती है लेकिन इसमें बादलों में 40 प्रतिशत तक पानी होना जरूरी है और छिड़काव के लिए सही बादल का चयन भी जरूरी है अन्यथा यह प्रक्रिया फेल हो जाएगी।